तेलंगाना में पाम ऑयल के किसान इन दिनों काफी खुश हैं. ये किसान खाद्य फसल क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरे हैं. पिछले 15 महीनों में पाम ऑयल के किसानों ने कीमतों में बड़ा इजाफा देखा है. मार्च 2024 में ताजे फलों के गुच्छे की कीमत जो करीब 14,000 रुपये प्रति टन हुआ करती थी. अब 21,000 रुपये के स्तर को पार कर गई है. साफ है कि कीमतों में करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वहीं कच्चे पाम तेल के आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी लगाने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद घरेलू मांग में उछाल से कीमतों में वृद्धि हुई है.
पाम ऑयल के किसान कीमतों में वृद्धि से काफी खुश हैं लेकिन उनका कहना है कि कई क्षेत्रों में बागानों को कीटों और बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में वो चाहते हैं कि केंद्र सरकार इस क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करने के लिए तंबाकू बोर्ड की तर्ज पर ऑयल पाम बोर्ड की स्थापना करे.
द हिंदू बिजनेस लाइन की रिपोर्ट में खम्मम के एक किसान उमा महेश्वर रेड्डी के हवाले से बताया गया है कि इन बीमारियों के लिए संवेदनशीलता भी बढ़ती जा रही है और बगीचों में अलग-अलग उम्र के पाम ट्री की आबादी के आपस में मिलने से इसमें भी इजाफा हो रहा है. उनका कहना है कि नए और पुराने पौधों के मिलने से परिस्थितियां बनती हैं, वो बीमारियों के फैलने और प्रभाव के लिए अनुकूल हैं. रेड्डी तेलंगाना ऑयल फेड असवारओपेट जोन ऑयल पाम ग्रोअर्स फेडरेशन के प्रेसीडेंट हैं.
रेड्डी ने अनुमान लगाया है कि राज्य में पिछले साल 2.20 लाख टन के मुकाबले करीब तीन लाख टन ताजे फलों के गुच्छों का उत्पादन हो सकता है. इससे करीब 60,000 टन कच्चे पाम तेल का उत्पादन हो सकेगा. वर्तमान में स्थानीय तौर पर उत्पादित कच्चे पाम तेल को बाकी राज्यों में स्थित रिफाइनरियों को बेचा जा रहा है. रेड्डी ने कहा कि किसान कीमतों में वृद्धि से खुश हैं. अब वो बागान क्षेत्रों के करीब प्रोसेसिंग फैसिलिटीज चाहते हैं.
उमा महेश्वर रेड्डी ने सरकार से ऑयल पाम बोर्ड का गठन करने और एनएमईओ-ओपी संचालन को बोर्ड के दायरे में लाने का अनुरोध किया है. उनकहा है कि कि ऑयल पाम क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए, किसानों, ऑयल पाम कंपनियों और रिसर्च ऑर्गेनाइजेशंस समेत पूरे सिस्टम को एक साथ लाने की जरूरत है. साथ ही कच्चे पाम तेल के उत्पादन और बिक्री की निगरानी करने और सरकारी सब्सिडी को बेहतर तरीके से चैनलाइज करने की जरूरत पर भी उन्होंने जोर दिया.
फेडरेशन ने हाल ही में केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक चिट्ठी है. इसमें इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई सिफारिशें की गई हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को कई बागान क्षेत्रों में कीटों और बीमारियों पर स्टडी और रिसर्च करने के लिए भारतीय तेल पाम अनुसंधान संस्थान (IIOPR) की शाखाएं शुरू करनी चाहिए. फेडरेशन की ख्वाहिश थी कि गुणवत्ता वाले पौधे हों ताकि उन्हें स्वस्थ पौधे मिल सकें. एक किसान ने आरोप लगाया कि सात साल की उम्र के कुछ बागान ऐसे हैं जिनमें कोई फल नहीं लगा है. करीब 20 से 40 फीसदी पौधे आनुवंशिक तौर पर दोषपूर्ण हैं. यह कमी मुख्य तौर पर 2016 से 2022 तक लगाए गए बागानों में पाई गई है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today