गर्मी का असर इलायची के उत्पादन पर भी दिखने लगा है. इससे इसकी कीमत में बंपर बढ़ोतरी दर्ज की गई है. कहा जा रहा है कि गर्मी बढ़ते ही इसकी कीमत करीब 2000 रुपये किलो के करीब पहुंच गई है. हालांकि, मार्च के पहले हफ्ते में कीमतें 1300-1400 रुपये किलो के बीच थीं. व्यापारियों ने कीमतें बढ़ने का कारण पिछले तीन महीनों के दौरान इलाचयी उत्पादक क्षेत्रों में बारिश की कमी और अधिक तापमान को जिम्मेदार ठहराया है.
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, इलायची उत्पादक क्षेत्रों में कम बारिश होने और अधिकतम तापमान 34-35 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने से इसकी फसल पर बुरा असर पड़ा है. अधिक गर्मी की वजह से इलायची के पौधों की टिलर और बालियां सूखने लगी हैं. यही वजह है कि पौधे को इस तरह के नुकसान से अगले सीजन में उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना है. व्यापारियों ने कहा कि पूरी संभावना है कि जुलाई-अगस्त का अगला फसल सीजन कम से कम कुछ दिनों तक लगातार बारिश की उपलब्धता पर निर्भर करेगा.
ये भी पढ़ें- जाते-जाते 'तबाही' छोड़ गया EL-Nino, मार्च महीने में सूखे से कई फसलें चौपट
पहले, बागवानों के पास भूमि की सिंचाई के लिए अपने स्वयं के जल संसाधन होते थे. अब अत्यधिक गर्मी की स्थिति में उनकी भूमि में जल स्तर सूखने से पौधों की सिंचाई पर भी असर पड़ा है. हालांकि, ऐसा लगता है कि बढ़ती कीमतों से बहुसंख्यक कृषक समुदाय को कोई लाभ नहीं हुआ है और इससे उन व्यापारियों को मदद मिली है जिन्होंने कीमतों में गिरावट के समय वस्तु खरीदी थी. गर्मियों की बारिश शुरू होने के साथ कीमतों में और गिरावट के डर से, कई छोटे व्यापारियों ने पर्याप्त मात्रा में खरीदारी नहीं की.
उन्होंने बताया कि चालू वर्ष में पौधों की क्षति का अनुमान 20 प्रतिशत है, जो आने वाले दिनों में बढ़ते क्षेत्रों में गर्मी की बारिश की कमी का सामना करने पर बढ़ने की संभावना है. नीलामीकर्ताओं के मुताबिक, रमजान के बाद बाजार में मांग में कमी देखी जा रही है और जुलाई-अगस्त में इसमें तेजी आने की संभावना है. निर्यात के मोर्चे पर, बाजार में रमजान के बाद विशेष रूप से खाड़ी देशों से कमजोर मांग देखी जा रही है. हालांकि, ग्वाटेमाला में सूखे की स्थिति ने उनकी फसल को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिससे कीमतें भारतीय कच्चे माल के बराबर आ गई हैं. ग्वाटेमाला में पिछले सीज़न के 54,000 टन से इस साल फसल में भारी गिरावट देखी गई है और यह लगभग 30,000 टन रह गई है.
ये भी पढ़ें- किसान-Tech: ना जुताई का खर्चा, ना खेत तैयार करने का झंझट, जीरो टिलेज खेती के बारे में जानें सबकुछ
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today