देश भर में गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हो चुकी है. इस बार सरकार ने सिर्फ 320 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है. इस बीच चिंता वाली बात यह है कि देश में लंबे समय बाद गेहूं का सरकारी स्टॉक बहुत कम हो गया है. भारतीय खाद्य निगम के पास गेहूं का स्टॉक 2018 के बाद पहली बार 100 लाख टन से नीचे चला गया है. साल 2017 में एक मार्च को गेहूं का स्टॉक 94.29 लाख मीट्रिक टन था. जबकि मार्च 2024 में यह 96.92 लाख मीट्रिक टन है. एक अप्रैल को सेंट्रल पूल में 74.60 लाख मीट्रिक टन गेहूं चाहिए होता है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि सरकार इतना गेहूं बचाए रखने में तो कामयाब हो जाएगी, लेकिन अगर इस साल खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं होता है तो आने वाले समय में संकट बढ़ेगा.
सरकारी स्टॉक अच्छा रहता है तो बाजार में दाम नियंत्रण में रहता है. यही नहीं सरकार 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में अनाज दे रही है. ऐसे में सेंट्रल पूल में अच्छा स्टॉक जरूरी है. लेकिन, जिस तरह से ओपन मार्केट में अभी गेहूं का दाम एमएसपी से ज्यादा है उसे देखकर ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि 320 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का टारगेट पूरा करना भी सरकार के लिए आसान नहीं है. इस बीच देश के अधिकांश राज्यों में गेहूं की खरीद शुरू हो चुकी है. पिछले साल देश के एक भी राज्य ने अपने खरीद लक्ष्य को पूरा नहीं किया था.
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साल | लाख मीट्रिक टन |
2017 | 94.29 |
2018 | 151.55 |
2019 | 201.09 |
2020 | 275.21 |
2021 | 295.41 |
2022 | 234 |
2023 | 116.70 |
2024 | 96.92 |
Source: Department of Food and Public Distribution |
बफर स्टॉक यानी सेंट्रल पूल के लिए केंद्र सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद करती है. इसके तहत पीडीएस में अनाज दिया जाता है. भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) इसे मैनेज करता है. एफसीआई यह खरीद ज्यादा उत्पादन वाले राज्यों में करता है. सूखा, बाढ़, भूकंप आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान आने वाली भोजन की कमी को दूर करने के लिए भी अनाज बफर स्टॉक से ही भेजा जाता है. केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के मुताबिक 1 अप्रैल को 74.60, 1 जुलाई को 275.80, 1 अक्टूबर को 205.20 और 1 जनवरी को 138 लाख मीट्रिक टन गेहूं बफर स्टॉक में होना चाहिए.
दरअसल, पिछले दो साल से ओपन मार्केट में गेहूं का दाम एमएसपी से अधिक चल रहा है. इसलिए सरकार बफर स्टॉक के लिए तय किए गए गेहूं खरीद लक्ष्य को हासिल नहीं कर पा रही है. इसलिए स्टॉक इतना कम हो गया है. रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 में सरकार ने 341.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था, जबकि खरीद सिर्फ 262 लाख मीट्रिक टन की ही खरीद हो पाई थी. इसी तरह 2022-23 में भी गेहूं की खरीद का टारगेट पूरा नहीं हो पाया था. सरकार 444 लाख मीट्रिक टन की जगह सिर्फ 187.92 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही खरीद पाई थी.ओपन मार्केट में ज्यादा दाम मिलने की वजह से किसान सरकार को पहले की तरह गेहूं नहीं बेच रहे हैं.
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