अमरूद की खेती में इन बातों का रखें ध्यानअमरूद (Guava) एक स्वादिष्ट और पौष्टिक फल है जिसकी खेती भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है. बारिश का मौसम अमरूद की खेती (Guava Farming) के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. लेकिन कई बार पौधों में कीटों का हमला होने से किसान भाइयों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. अगर समय पर इसका उपचार न किया जाए, तो यह पूरी फसल को प्रभावित कर सकता है. आइए जानते हैं अमरूद (Guava) के प्रमुख कीट और उनसे बचाव के आसान उपाय.
सेमीलूपर इल्ली अमरूद (Guava) की पत्तियों को खाकर पौधों को कमजोर कर देती है. इससे पौधे की बढ़वार रुक जाती है.
इलाज:
स्केल कीट अमरूद (Guava) के पौधों की पत्तियों और शाखाओं का रस चूस लेते हैं, जिससे पौधे का विकास रुक जाता है.
इलाज:
मिली बग सफेद कॉटन जैसे दिखाई देते हैं और पौधों का रस चूसकर उन्हें सुखा देते हैं. इससे पत्तियां पीली होकर झड़ जाती हैं.
इलाज:
फल को ढकना (Fruit Bagging)
नीम का छिड़काव (Neem Spray)
कीट-आकर्षक ट्रैप लगाएं (Fruit Fly Trap)
फलों की समय पर तुड़ाई करें (Timely Harvesting)
पेड़ के नीचे गिरे फलों को तुरंत उठाकर नष्ट करें, क्योंकि ये कीटों की शरण बन जाते हैं. अगर फलों में फफूंद के कारण कीड़े लग रहे हों तो बोर्डो मिक्सचर (Bordeaux Mixture) का हल्का छिड़काव करें.
अमरूद की फसल में कीट लगने पर तुरंत पहचान और सही उपाय करना बेहद जरूरी है. नीम तेल, घरेलू जैविक नुस्खे और कीट ट्रैप जैसे उपाय अपनाकर किसान भाई अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं. नियमित निगरानी और समय पर छिड़काव से आप अमरूद की उपज और गुणवत्ता दोनों में सुधार ला सकते हैं.
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