पूरी दुनिया में पहुंचेगी कुल्थी दाल, खेती और बिक्री के लिए नया प्रोजेक्ट शुरू

पूरी दुनिया में पहुंचेगी कुल्थी दाल, खेती और बिक्री के लिए नया प्रोजेक्ट शुरू

भारत की पारंपरिक फसल हॉर्स ग्राम को ‘पावर ऑफ डाइवर्सिटी’ परियोजना के तहत अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है. इस पहल का उद्देश्य है पोषण सुरक्षा, बीज संरक्षण और किसानों की आमदनी को बढ़ावा देना.

Advertisement
पूरी दुनिया में पहुंचेगी कुल्थी दाल, खेती और बिक्री के लिए नया प्रोजेक्ट शुरूकुलथी दाल की वापसी

पावर ऑफ डाइवर्सिटी फंडिंग फैसिलिटी एक नई अंतरराष्ट्रीय पहल है जो भारत के पारंपरिक और पोषक अनाजों को बढ़ावा देने का काम कर रही है. इस पहल ने भारत के हॉर्स ग्राम जिसे आम बोल-चाल की भाषा में कुलथ दाल कहते हैं उसे एक "अवसर फसल" (Opportunity Crop) के रूप में पहचाना है, जिसे आने वाले वर्षों में विशेष ध्यान मिलेगा.

क्या है पावर ऑफ डाइवर्सिटी फंडिंग फैसिलिटी?

यह एक मल्टी-डोनर फंडिंग प्रोजेक्ट है, जिसे क्रॉप ट्रस्ट नामक अंतरराष्ट्रीय संगठन संचालित कर रहा है. इसका मकसद है- फसल विविधता को संरक्षित करना और वैश्विक खाद्य व पोषण सुरक्षा को मजबूत बनाना. इस परियोजना में 7 देशों के 250 से अधिक किसान, वैज्ञानिक और नीति निर्माता मिलकर काम कर रहे हैं.

भारत में हॉर्स ग्राम पर विशेष ध्यान

भारत में इस पहल के तहत हॉर्स ग्राम (कुल्थी) और याम जैसी पारंपरिक फसलों पर रिसर्च को बढ़ावा दिया जाएगा. एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन ने किसानों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को एक साथ लाकर इस फसल को फिर से प्रासंगिक बनाने की जरूरत पर जोर दिया.

क्या होगा इस परियोजना में?

  • बीज संरक्षण: हॉर्स ग्राम जैसी फसलों को जीन बैंकों में संरक्षित किया जाएगा.
  • बीज उपलब्धता: किसानों के लिए बेहतर और गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी.
  • पोषण अध्ययन: इन फसलों की पोषणीयता पर रिसर्च की जाएगी ताकि इनके स्वास्थ्य लाभ को बढ़ावा मिल सके.
  • खपत बढ़ाना: उपभोक्ताओं को जागरूक कर इन फसलों की बाजार में मांग को बढ़ाया जाएगा.
  • नीति निर्माण में सहयोग: इन फसलों को राष्ट्रीय स्तर की नीतियों में मान्यता दिलाने के लिए सरकार के साथ जानकारी साझा की जाएगी.

फंडिंग और समर्थन

इस परियोजना को जर्मनी की KFW डेवलपमेंट बैंक से €10 मिलियन और आयरलैंड के विदेश मामलों के विभाग से €2 मिलियन यानी 20 लाख रुपये का सहयोग मिला है. यह पैसा इन अवसर फसलों के संरक्षण, उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा देने में इस्तेमाल होगा.

दूसरे देशों में भी हो रहा है काम

  • भारत के अलावा, अन्य देशों में भी पारंपरिक और पोषक फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है:
  • कोलंबिया: पीच पाम और चायोटे को चुना गया है.
  • नाइजीरिया: फोटो और कबूतर मटर को चुना गया है जो खाद्य सुरक्षा को मजबूत करती हैं.
  • जाम्बिया: काउपी और ज्वार जैसी सूखा-प्रतिरोधी फसलों पर ध्यान.
  • केन्या: अमरंथ और फिंगर मिलेट जैसी सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण फसलों को बढ़ावा.

हॉर्स ग्राम जैसी पारंपरिक फसलें, जो कभी गांवों की रसोई में आम थीं, अब फिर से वैज्ञानिक समर्थन और नीति स्तर की मान्यता पा रही हैं. इस तरह की पहलें किसानों की आमदनी बढ़ाने, पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने और स्थायी कृषि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.

ये भी पढ़ें:

मराठवाड़ा में मुआवजा न मिलने पर फूटा किसानों का गुस्‍सा, संभाजीनगर में कलेक्‍टर आवास के बाहर किया प्रदर्शन
Silage Fodder: किस फसल से और कब बनाना चाहिए अच्छा साइलेज, सर्दियों के लिए ये हैं एक्सपर्ट टिप्स 

POST A COMMENT