150 रुपये किलो हुआ शहद, मधुमक्खी पालकों के लिए लागत निकालना मुश्किल, कीमत में क्यों आई गिरावट

150 रुपये किलो हुआ शहद, मधुमक्खी पालकों के लिए लागत निकालना मुश्किल, कीमत में क्यों आई गिरावट

मधुमक्खी पालकों ने कहा कि उन्हें पर्याप्त लाभ नहीं हुआ है, लेकिन शहद उद्योग फल-फूल रहा है. बोपाराय ने खाद्य मंत्री को बताया कि सरकारी रिकॉर्ड में वास्तविक उत्पादन से लगभग दोगुना प्राकृतिक शहद दिखाया गया है. सांसद ने जोशी से कहा कि जबकि भारत में प्राकृतिक शहद का वास्तविक उत्पादन लगभग 50,000 टन है.

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पंजाब में 150 रुपये किलो हुआ शहद, लागत निकालना मुश्किलपंजाब में शहद हुआ सस्ता. (सांकेतिक फोटो)

पंजाब में शहद की कीमतों में भारी गिरावट से मधुमक्खी पालकों को झटका लगा है. कई मधुमक्खी पालकों का कहना है कि कीमतों में गिरावट के चलते अब लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है. अगर आगे भी ऐसी स्थिति रही तो घर का खर्च चलाना मुश्किल हो जाएगा. वहीं, एक्सपर्ट का कहना है कि मार्केट में शहद व्यापारियों के चलते ही स्थिति उत्पन्न हुई है. वे आपस में कॉम्पिटिशन करने के लिए मिलावटी शहद को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं. क्योंकि इनकी कीमत कम होती है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, छोटे मधुमक्खी पालकों ने कहा कि उन्हें अपना उत्पाद 150 रुपये प्रति किलोग्राम में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है. नतीजतन, मधुमक्खी पालकों ने वरिष्ठ अधिकारियों से आग्रह किया है कि वे उनकी मदद करें और उन गड़बड़ियों की जांच करें, जो छोटी मधुमक्खी पालन इकाइयों के कामकाज को पंगु बना रही हैं. फतेहगढ़ साहिब के सांसद डॉ. अमर सिंह बोपाराय ने कहा कि केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने उन्हें मामले की जांच का आश्वासन दिया है.

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मिलावटी शहद की हो जांच

बोपाराय ने कहा कि मधु क्रांति मधुमक्खी किसान कल्याण सोसायटी के साथ पंजीकृत मधुमक्खी पालकों की समस्याओं को सुनने के बाद, मैंने खाद्य मंत्री से मुलाकात की और उनसे अनुरोध किया कि वे संबंधित अधिकारियों पर मिलावटी शहद की आपूर्ति की जांच करने के लिए दबाव डालें, जिसे बाजार में कम कीमतों पर बेचा जा रहा है. सांसद ने कहा कि कुछ मधुमक्खी पालकों ने इस पेशे को जारी रखने में असमर्थता दिखाई. उन्होंने कहा कि अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा और मिलावट को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.

क्या कहते हैं अधिकारी

मधुमक्खी पालकों ने कहा कि उन्हें पर्याप्त लाभ नहीं हुआ है, लेकिन शहद उद्योग फल-फूल रहा है. बोपाराय ने खाद्य मंत्री को बताया कि सरकारी रिकॉर्ड में वास्तविक उत्पादन से लगभग दोगुना प्राकृतिक शहद दिखाया गया है. सांसद ने जोशी से कहा कि जबकि भारत में प्राकृतिक शहद का वास्तविक उत्पादन लगभग 50,000 टन है, अधिकारियों ने दोगुना उत्पादन दिखाया है. उन्होंने आशंका जताई कि यह बड़ा अंतर नकली शहद के प्रचलन के कारण है, जिसमें मकई और अन्य सिरप की मात्रा अधिक होती है.

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