बीते दिनों हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में मौसम के करवट बदलने के बाद जहां लोगों को सुहावने मौसम की सौगात मिली तो वहीं दूसरी तरफ जिले के ऊपरी इलाकों में बारिश, तेज हवा और ओलावृष्टि ने किसानों की बागवानों के लिए मुसीबत बढ़ा दी. कुल्लू की खराहल घाटी, लग घाटी और जिले के ऊपरी इलाकों के बागवानों और फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ. तेज अंधड़ और ओलावृष्टि के कारण कई जगह पर सेब के पेड़ की टहनियां टूट गई है और कई जगह पर छोटे पेड़ उखड़ गए, जिसके चलते इस साल इन इलाकों में सेब का सीजन काफी प्रभावित होगा.
वहीं इस अंधड़ और ओलावृष्टि के बाद बागवानी विभाग भी नुकसान की रिपोर्ट तैयार करने में जुट गया है. कई इलाकों में सेब की फसल को 50 से 80 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है. इससे जिले में करोड़ों रुपये की फसलों की क्षति हुई है.
इस बर्फबारी ने जिले के 7000 फीट की ऊंचाई वाले इलाकों में सेब के बगीचों में खिले फूलों को भारी नुकसान पहुंचाया है. फ्लावरिंग के समय भारी बारिश और ठंड ने सेब में लग रहे फूल धो दिए हैं. वहीं नाशपती और प्लम में जहां सेटिंग हो रही थी. उस पर ओले की मार पड़ गई है. इस ओलावृष्टि ने फलदार पौधों के अलावा मटर और अन्य सब्जियों की खेती को भी तबाह कर दिया है. भारी बारिश के कारण फूल का परागण धुल गया है. ऐसे में फल बनने की प्रक्रिया पर नकारात्मक असर पड़ेगा. कई क्षेत्रों के बगीचों में लगे हेलनेट पर ओला पड़ने से पौधों को भारी क्षति पहुंची है. कई पेड़ भी तहस-नहस हो गए हैं. बगीचों में खिले उम्मीदों के फूलों पर पानी फिरने से किसानों को बहुत भारी झटका लगा है.
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गौरतलब है की घाटी में 30 हजार हेक्टेयर भूमि पर बागवानी हो रही है. जिसमें सेब कारोबार से 75 हजार परिवार प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं. एस तबाही भारी बारिश और ओलावृष्टि से सेब फसल की अनुमानित 75 लाख पेटियों का आंकड़ा भी अब गिर सकता है.
बागवान के किसान विशु ठाकुर का कहना है की मौसम यहां बीते 6 से 7 दिनों से खराब चल रहा है. साथ ही जमकर ओलावृष्टि भी हो रही है, जिसके चलते खासकर सेब की फसल पर खासा प्रभाव पड़ रहा है. ओलावृष्टि के चलते पेड़ों की पत्तिया टूट गयी है. पत्तिया टूटने से पेड़ कमज़ोर हो जाएंगे, जिसके चलते इस साल के साथ-साथ अगले साल भी सेब की फसल पर इसका खासा प्रभाव पड़ेगा. पोलिनेशन के समय पर भी बारिश और ओलावृष्टि से नुकसान हुआ था और अब फिर से मौसम की मार से 70 से 80 फीसदी फसल खराब हो गयी है.
मौसम की मार से सेब के साथ साथ आलू बुखारा, टमाटर, नाशपाती, मटर की फसल भी तबाह हो गयी है. उन्होंने कहा कि हमारी आय के साधन केवल बगीचा ही है. पूरे साल भर खर्चा यहीं से आता है. अब इस बारिश ने हम लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हम क्या करें.
बागवान के किसान दिनेश का कहना है की मौसम की मार से सेब ,आलू बुखारा, गोभी, टमाटर की फसल को भारी नुकसान हुआ है. साथ ही पेड़ों की पत्तिया फट गयी है, फलों पर दाग पड़ चुके है, जोकि बाजारों में मिलने वाली स्प्रे करने से भी ठीक नही होंगे. मेरी करीब 75 फीसदी फसल तबाह हो चुकी है. अब मैं ये सोच रहा हूं कि मेरी आजीविका कैसे चलेगी.
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