हरियाणा में हेफेड किसानों से डायरेक्ट सरसों की खरीद कर रहा है. इसे लेकर मंडियों के कमीशन एजेंटों में गहरी नाराजगी है. इस नाराजगी को वे लोकसभा चुनाव में भुनाने की तैयारी में लग गए हैं. आढ़तियों का कहना है कि वे लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे. इसके लिए आढ़तियों ने लामबंदी भी शुरू कर दी है. हरियाणा में हेफेड किसानों से सरसों की खरीद कर रहा है.
आढ़ती चाहते हैं कि खरीद उन्हीं के माध्यम से हो. उन्होंने कहा कि शुरुआत में वे 1 से 5 अप्रैल तक राज्य भर में बाजार समितियों के सामने प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन करेंगे और अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो आंदोलन तेज किया जाएगा.
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हरियाणा राज्य अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक गुप्ता ने 'Tribune' सेकहा, 'सरकार ने अनाज मंडियों में सरसों की सीधी खरीद शुरू कर दी है, जो मंजूर नहीं है. सरकार एमएसपी पर खरीद में एजेंटों की भागीदारी को सीमित करने की कोशिश कर रही है. इससे पहले, इसने धान और गेहूं पर हमारा कमीशन कम कर दिया था. एजेंसियों के जरिये की जाने वाली खरीद पर 2.5 फीसदी कमीशन के मुकाबले सरकार ने करीब 46 रुपये प्रति क्विंटल कमीशन तय किया था. इससे हमें प्रति क्विंटल 10 से 12 रुपये का नुकसान हो रहा है.”
अशोक गुप्ता आगे कहते हैं, “खरीद में कोई भूमिका नहीं होने से एजेंटों को कोई कमीशन नहीं मिलेगा. हमने पिछले नौ वर्षों में सरकार के साथ कई मुद्दे उठाए हैं, लेकिन इसने केवल अस्थायी राहत दी गई है. इससे हमारे अंदर आक्रोश पनप रहा है. हमने बाजार समिति के समक्ष पांच दिवसीय धरना देने का निर्णय लिया है. अगर सरकार हमारी मांग मानने में नाकाम रहती है, तो हम 5 अप्रैल के बाद एक और बैठक करेंगे और विरोध तेज करने की रणनीति बनाएंगे.''
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कुछ कमीशन एजेंटों का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर दबाव बनाने के लिए एसोसिएशन को लोकसभा चुनाव, खासकर करनाल में होने वाले उपचुनाव के दौरान अपनी ताकत दिखानी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि अन्य दलों को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए. एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि हमने अपनी मांगें उठाई हैं और बार-बार ज्ञापन सौंपे हैं लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. बीजेपी सरकार को यह समझाने के लिए कि एजेंट उसके खिलाफ हैं, 15 से 25 मई तक विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है.
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