हरियाणा के यमुनानगर जिले में 30 मार्च को बेमौसम बारिश और हल्की ओलावृष्टि के कारण फसलों को काफी अधिक नुकसान पहुंचा था. लेकिन कुछ ही दिनों में नुकसान की रिपोर्ट रिपोर्ट आने के बाद राज्य सरकार ने ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोल दिया है, ताकि किसान अपनी गेहूं और अन्य फसलों के नुकसान के बारे में जानकारी अपलोड कर सकें. खास बात यह है कि पोर्टल 6 अप्रैल तक खुला रहेगा. यानी किसानों के पास अभी नुकसान के बारे में जानकारी अपलोड करने के लिए 2 दिनों का समय है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, 30 मार्च को प्रताप नगर ब्लॉक में 29 मिमी और छछरौली ब्लॉक में 13 मिमी बारिश हुई थी. बारिश से जिले के प्रताप नगर और छछरौली ब्लॉक के नौ गांवों ताहरपुर कलां, हैदरपुर, गोहराबनी, राजपुर, मलिकपुर बांगर, महिउद्दीनपुर, रुकाली, फतेहपुर और जैतपुर में 1175 एकड़ में लगी गेहूं की फसल को नुकसान हुआ था. इसके अलावा साढौरा ब्लॉक में 8 मिमी, बिलासपुर ब्लॉक में 6 मिमी, सरस्वती नगर ब्लॉक में 5 मिमी और जगाधरी ब्लॉक में 4 मिमी बारिश दर्ज की गई थी. इससे इन गांवों में भी फसलों की बर्बादी हुई थी.
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हालांकि, जिले के अन्य प्रखंडों से गेहूं की फसल को बहुत कम नुकसान की सूचना मिली है. उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने कहा कि जिले में बारिश के कारण जिन किसानों की फसल बर्बाद हो गई है, वे 6 अप्रैल तक ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर फसल क्षति के मुआवजे के लिए आवेदन कर सकते हैं. साथ ही उपायुक्त ने कहा कि नुकसान को पारदर्शी तरीके से निपटाया जाएगा और प्रभावित किसानों को उसके अनुसार ही मुआवजा मिलेंगे. जिला राजस्व अधिकारी श्याम लाल ने कहा कि किसान अपनी पारिवारिक आईडी या आधार कार्ड नंबर भरकर लॉग इन कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल को मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल से जोड़ा गया है, इसलिए किसानों को उस जमीन के खसरा नंबर का विवरण पोर्टल पर अपलोड करना चाहिए, जिस पर उन्हें बारिश के कारण फसल का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि फसल क्षति के आकलन, सत्यापन और मुआवजे की प्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक कदम है. उन्होंने कहा कि क्षतिग्रस्त फसलों के मुआवजे के लिए स्लैब तय कर दिए गए हैं. पटवारी और कानूनगो पोर्टल पर प्राप्त सभी आवेदनों की जांच करेंगे. डीआरओ ने कहा कि वे क्षति का प्रतिशत और क्षेत्र की फोटो अपलोड करके प्रत्येक प्रविष्टि को सत्यापित या पुष्टि करेंगे.
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