हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल ने सरकार द्वारा सरसों की सरकारी खरीद आढ़तियों के माध्यम से नहीं करने पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है. संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि सरकार को सरसों की सरकारी खरीद आढ़तियों के माध्यम से करके उनको 2.5 प्रतिशत कमीशन देना चाहिए. इसी प्रकार गेहूं पर आढ़तियों का जो 55 रुपये 87 पैसे प्रति क्विंटल कमीशन बनता है उसमें कटौती करके 45 रुपए 88 पैसे कर दिया गया है. इस तरह सरकार आढ़तियों को गेहूं खरीद पर 9 रुपये 99 पैसे और धान पर 9 रुपये 19 पैसे कम दे रही है. धान की खरीद पर प्रति क्विंटल कमीशन 55 रुपये 07 पैसे की जगह सिर्फ 45 रुपये 88 पैसे मिल रहा है.
गर्ग ने कहा कि कई साल से आढ़तियों को धान, गेहूं की खरीद पर 2.5 प्रतिशत कमीशन मिलता था. उसी प्रकार सरकार को हर अनाज खरीद पर 2.5 प्रतिशत कमीशन देना चाहिए. सरकार ने हरियाणा मार्केट बोर्ड बनाकर हरियाणा में जगह-जगह अनाज मंडिया बनाई हुई हैं और आढ़ती मार्केट बोर्ड से लाइसेंस लेकर मंडियों में व्यापार कर रहे हैं. आढ़तियों ने मंडी में व्यापार के लिए करोड़ों रुपये लगाए हुए हैं. आढ़तियों के पास अनाज खरीद के माध्यम से कमीशन ही कमाई का एकमात्र माध्यम है. अगर सरकार अनाज खरीद मंडी के आढ़तियों के माध्यम से नहीं करेगी तो आढ़ती मंडी में दुकान करके क्या करेगा.
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कॉन्फेड के पूर्व चेयरमैन बजरंग गर्ग ने कहा कि यह सरकार आढ़तियों का व्यापार खत्म करके सरकारी मंडियां बंद करने पर तुली हुई है जो सरासर गलत है. हरियाणा की मंडियों में लगभग 40 हजार आढ़ती व्यापार कर रहे हैं. मंडी के माध्यम से लाखों मजदूर, मुनीम, ट्रांसपोर्टरों व व्यापारियों को रोजगार मिल रहा है. किसानों द्वारा खुली बोली में अनाज बेचने से उन्हें अपनी उपज के अच्छे दाम मिलते हैं. सरकारी खरीद बंद होने से लाखों परिवारों का रोजगार चला जाएगा.
व्यापारी नेता ने कहा कि सरकार बड़ी-बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए देश व प्रदेश में सरकारी मंडियां बंद करना चाहती है ताकि बड़ी-बड़ी कंपनियों का अनाज, सब्जी व फलों के व्यापार पर कब्जा हो जाए. सरकारी अनाज मंडियां बंद होने से किसान व आढ़तियों को बड़ा भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. गर्ग ने केंद्र व प्रदेश सरकार से अपील की है कि वह हर अनाज की खरीद मंडी के आढ़तियों के माध्यम से पहले की तरह करे और खरीद पर 2.5 प्रतिशत कमीशन दे.
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