Grow Chaulai at home: घर में उगाएं चौलाई साग या राजगिरा, रेगुलर मिलेगी सप्लाई, कई बीमारियों से रहेंगे दूर

Grow Chaulai at home: घर में उगाएं चौलाई साग या राजगिरा, रेगुलर मिलेगी सप्लाई, कई बीमारियों से रहेंगे दूर

आज हम आपको बता रहे हैं हमारे देशी सुपरफूड के बारे में जो भारत में सदियों से खाया जा रहा है और पोषण के मामले में क्विनोआ से भी आगे है.

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घर में उगाएं चौलाई साग या राजगिरा, रेगुलर मिलेगी सप्लाई, कई बीमारियों से रहेंगे दूर Grow Chaulai

आजकल फिटनेस के लिए लोगों में क्विनोआ खाने का चलन है क्योंकि यह सेहत के लिए फायदों के मामले में सुपरफूड माना जाता है. हालांकि, क्विनोआ महंगा होता है, और हर कोई इसे नही खरीद सकता है. ऐसे में, आज हम आपको बता रहे हैं हमारे देशी सुपरफूड के बारे में जो भारत में सदियों से खाया जा रहा है और पोषण के मामले में क्विनोआ से भी आगे है. 

इसका नाम है- चौलाई, जिसे अंग्रेजी में Amaranth कहते हैं. चौलाई की दो किस्में ज्यादातर देखने को मिलती हैं- हरी चौलाई और लाल चौलाई. लाल चौलाई को लाल साग भी कहते हैं. चौलाई के पत्तों का साग बनाया जाता है. इसके अलावा, चौलाई के बीजों को मिलेट के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है, जिसे रामदाना या राजगिरा भी कहते हैं. रामदाना से लड्डू, खिचड़ी जैसे व्यंजन बनाए जाते हैं. खासकर इसके लड्डू को कौन भूल सकता है जिन्हें उत्तर भारत में व्रत के लड्डू के नाम से जाना जाता है. 

राजगिरा के फायदे 

प्रोटीन का अच्छा स्रोत- राजगिरा प्रोटीन का एक बड़ा स्रोत है. राजगिरा या चौलाई एक संपूर्ण प्रोटीन है, जिसका मतलब है कि इसमें सभी नौ जरूरी अमीनो एसिड होते हैं. अगर आप प्लांट बेस्ड प्रोटीन चाह रहे हैं तो यह सबसे अच्छा विकल्प है. 

फाइबर से भरपूर- दूसरा, चौलाई फाइबर का बहुत अच्छा स्रोत है. फाइबर पाचन के लिए महत्वपूर्ण है, कब्ज को रोकता है और आंत के माइक्रोबायोम को बैलेंस्ड रखने में मदद करता है. चौलाई फाइबर ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है. 

विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर- तीसरा, यह प्राकृतिक रूप से विटामिन और मिनरल्स का एक अच्छा स्रोत है. यह विटामिन ए, सी और ई के साथ-साथ मैग्नीशियम, फास्फोरस और कैल्शियम से भरपूर है. ये पोषक तत्व सेहत के लिए जरूरी होते हैं. इसमें आयरन की अच्छी मात्रा होती है जो एनीमिया को मैनेज कर सकती है. 

कहीं भी उगा सकते हैं- चौलाई को विभिन्न प्रकार की जलवायु में उगाया जा सकता है और इसे उगाने के लिए कम पानी और संसाधनों की जरूरत होती है. इसे भविष्य में अंतरिक्ष में भी उगाने पर विचार किया जा सकता है. 

नासा मे भी माना उपयोगी 

बताया जाता है कि राजगिरा 1985 में अंतरिक्ष शटल अटलांटिस की पहली फ्लाइट में भी ले जाया गया था. नासा के शेफ ने अंतरिक्ष यात्रियों के लिए राजगिरे से बिस्कुट तैयार किए थे ताकि वे अपने साथ ले जा सकें. अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा सालों से राजगिरे पर रिसर्च कर रही है.

बात अगर राजगिरा के न्यूट्रिशनल प्रोफाइल की करें तो हेल्थलाइन के मुताबिक, एक कप यानी 264 ग्राम पके हुए राजगिरा में ये न्यूट्रिशन होता है: 

  • कैलोरी: 251
  • प्रोटीन: 9.3 ग्राम
  • कार्ब्स: 46 ग्राम
  • फैट: 5.2 ग्राम

कई स्टडीज से पता चलता है कि राजगिरा या चौलाई कॉलेस्ट्रोल और "खराब" एलडीएल के लेवल को कम कर सकता है. साथ ही, यह एंटी-इनफ्लेमेटरी होता है. प्रोटीन और फाइबर की उच्च मात्रा होने से यह भूख को कम करता है जो वजन घटाने में मददगार होता है. राजगिरा एक पौष्टिक, ग्लूटेन-मुक्त मिलेट है जो उन लोगों के लिए भी उपयुक्त आहार है जिन्हें सीलिएक रोग या ग्लूटेन सेंसटिविटी है. 

घर में उगा सकते हैं चौलाई 

आप इसके बीज बाजार से खरीद सकते हैं और घर की छत या बालकनी या खुले आंगन में चौलाई के पौधे लगा सकते हैं. एक बार लगाने के बाद से आपको चौलाई के साग की कई बार फ्रेश सप्लाई मिल सकेगी. घर में चौलाई उगाना बहुत ही आसान है. 

  • सबसे पहले आप मिट्टी तैयार करें. आप किसी खेत से मिट्टी लेकर, इसमें गोबर की खाद या वर्मीकंपोस्ट मिलाएं. 
  • मिट्टी को ग्रो बैग में भरलें और इसमें थोड़ा पानी दें ताकि मिट्टी नम हो जाए. 
  • अब आप इसमें चौलाई के बीज डालें. चौलाई के बीज बहुत छोटे होते हैं और इन्हें पूरे ग्रो बैग में स्प्रिंकल करें. 
  • अब स्प्रिंकल करके पानी दें. और ग्रो बैग को शुरुआत में ऐसी जगह रखें जहां इनडायरेक्ट धूप आती हो. 
  • कुछ दिनों में आप देखेंगे कि छोटे-छोटे पौधे उगने लगे हैं. अब चाहें तो आप ग्रो बैग को धूप में रख सकते हैं. 
  • पौधों को जरूरत के हिसाब से पानी दें ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे. 
  • लगभग 30 दिनों में पौधे इतने बड़े हो जाएंगे कि आप ऊपर-ऊपर से इसके पत्ते लेकर साग बना सकते हैं. 
  • एक बार चौलाई लगाने के बाद आपको कई बार साग की सप्लाई मिलती है. 

 

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