चना की खेती करने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने देसी चना की एक ऐसी किस्म विकसित की है, जिसकी उपज अन्य वैरायटी के मुकाबले बहुत अधिक है. इस किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर है. इसके 100 दाने का वजन 22 ग्राम तक होता है. कहा जा रहा है कि अगर किसान इस नई किस्म की खेती करते हैं, तो देश में चने की पैदावार बढ़ जाएगी. इससे दलहन की बढ़ती कीमत पर लगाम भी लग सकता है. वैज्ञानिकों की माने तो इस किस्म की पैदावार 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगा.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आईसीएआर पटना के वैज्ञानिक ने 10 साल के शोध और संघर्ष के बाद इस नई किस्म को विकसित किया है. वैज्ञानिकों ने इस किस्म का नाम स्वर्ण लक्ष्मी रखा है. इसकी पैदावार सामान्य चना की तुलना में 15 से 20 प्रतिशत तक अधिक है. वैज्ञानिकों का कहना है कि स्वर्ण लक्ष्मी की कई स्तरों पर परीक्षण किया गया है. खास कर यह किस्म बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम और उत्तर प्रदेश की जलवायु के अनुकूल है. अगर इन राज्यों में किसान स्वर्ण लक्ष्मी किस्म की खेती करते हैं, तो बंपर पैदावार मिलेगी.
ऐसे भी सेंट्रल सीड रिलीज कमेटी ने बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम और उत्तर प्रदेश के लिए इस वैराइटी की रिकमेंडेशन किया है. इस किस्म की खेती केवल रबी मौसम में ही की जा सकती है. अगर किसान 15 नवंबर तक इसकी बुआई करते हैं, तो प्रति हेक्टेयर 18 से 20 क्विंटल तक उपज मिलेगी. लेकिन, देर से बुआई करने पर पैदावार में गिरावट आ सकती है. एक्सपर्ट की माने तो 30 दिसंबर तक बुआई करने पर औसतन 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज मिल सकती है.
खास बात यह है कि 15 नवंबर तक बुवाई करने पर स्वर्ण लक्ष्मी किस्म 130 से 135 दिनों में तैयार हो जाती है. वहीं, देर से बुवाई करने पर फसल को तैयार होने में 120 दिनों का समय लगता है. बड़ी बात यह है कि बुआई के 77 दिनों में पौधे में फूल आ जाते हैं. इसके पौधे की ऊंचाई औसतन 55 से 60 सेंटीमीटर तक होती है. जबकि, बुवालाई के दौरान प्रति हेक्टेयर 75 किलो बीज की जरूरत पड़ती है. विशेषज्ञों के मुताबिक, इसमें प्रोटीन की मात्रा 22 फीसदी तक होती है. ऐसे सामान्य चना में जिंक अधिक पाया जाता है. लेकिन इसमें जिंक 46 से 47 पीपीएम तक होता है.
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