रबी सीजन की प्रमुख दहलनी फसल चने की खरीद कई राज्यों में शुरू हो चुकी है. लेकिन इस सीजन चने की खरीद धीमी गति से हो रही है, जिसे देखते हुए सरकार खरीद को बढ़ावा देने के उपायों पर विचार कर रही है. सूत्रों ने कहा कि खरीद सीजन 2024-25 में चने की खरीद धीमी रही है, क्योंकि सहकारी संस्था नेफेड और एनसीसीएफ जैसी एजेंसियों ने एक मिलियन टन के बफर के मुकाबले अब तक केवल दो लाख टन की खरीद की है. सूत्रों ने कहा, चूंकि मंडी की कीमतें 5650 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन (MSP) मूल्य से थोड़ी ही नीचे चल रही है, जिससे किसान एमएसपी पर एजेंसियों को अपनी उपज बेचने से निराश हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि मूल्य समर्थन योजना के तहत खरीद अभियान अभी भी जारी है.
व्यापार सूत्रों ने कहा कि मंडियों में दालों की अलग-अलग किस्मों की आवक पहले ही अपने चरम को पार कर चुकी है, इस सीजन में निजी संस्थाओं की ओर से खरीद तेज रही है. साथ ही अलग-अलग क्षेत्रों में बाजार मूल्य 5400 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है. एक अधिकारी ने कहा, बफर को बढ़ाने के लिए बाजार मूल्य पर खरीद करने से पहले हम अभी भी बाजार मूल्यों के बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें;- सरकारी गोदामों में चावल का रिकॉर्ड स्टॉक, बफर से चार गुना ज्यादा अनाज मौजूद
महाराष्ट्र दाल मिलर्स एसोसिएशन ने सरकार को हाल ही में भेजे पत्र में चने के विकल्प के रूप में इस्तेमाल होने वाले पीले मटर के आयात को रोकने और बंगाल चने पर 60 फीसदी का आयात शुल्क बहाल करने का आग्रह किया है, क्योंकि आयात में वृद्धि से मंडी की कीमतों पर असर पड़ रहा है. वर्तमान में दिसंबर 2023 से 30 लाख टन से अधिक पीली मटर का आयात किया जा चुका है. वहीं, सरकार चने की घरेलू आपूर्ति में सुधार करना चाहती थी, क्योंकि फसल वर्ष 2022-23 में 12.26 मिलियन टन से 2023-24 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में उत्पादन घटकर 11 मिलियन टन रह जाने की संभावना है. बता दें कि पीली मटर के आयात की अनुमति 31 मई, 2025 तक है.
हालांकि व्यापार सूत्रों ने कहा कि पिछले फसल वर्ष में चना उत्पादन सरकारी अनुमान से काफी कम था, जिसके कारण आयात नीति में छुट दिया गया. इसके अलावा पिछले वित्त वर्ष में ऑस्ट्रेलिया और तंजानिया द्वारा 1.6 मिलियन टन चना का आयात किया गया था, जिस पर वर्तमान में केवल 10 फीसदी का आयात शुल्क है.
कृषि मंत्रालय द्वारा 2024-25 की फसल में चना उत्पादन थोड़ा अधिक यानी 11.53 मिलियन टन रहने का अनुमान लगाया गया है. इस बीच, 1 अप्रैल से सरकार ने भारत दाल पहल के तहत चना की मिलिंग बंद कर दी थी, क्योंकि खरीद में सुस्ती के कारण स्टॉक समाप्त हो गया था. वहीं, 2023-24 में एजेंसियां पीएसएस के तहत केवल 43,120 टन चना खरीद सकेंगी, जबकि 2021-22 और 2022-23 सीजन में एमएसपी खरीद क्रमशः 2.61 मिलियन टन और 2.35 मिलियन टन थी.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today