सहकारी चीनी मिलों ने केंद्र सरकार ने न्यूनतम बिक्री मूल्य (minimum selling price) बढ़ाने की मांग की है. कहा गया है कि 5 साल से मिलों के चीनी बिक्री मूल्य को नहीं बढ़ाया गया है. हालांकि, एक्स मिल चीनी बिक्री कीमतें निर्धारित एमएसपी से अधिक चल रही हैं. बता दें कि एमएसपी 31 रुपये है और बिक्री कीमतें 36 रुपये प्रति किलो चल रही है. ट्रेड बॉडी NFCSF ने उम्मीद जताई है कि मोदी सरकार के 100 दिनों वर्क प्लान को देखते हुए रेट बढ़ाने को मंजूरी दी जा सकती है.
देश में सहकारी चीनी मिलों का प्रतिनिधित्व करने वाले उद्योग निकाय नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज (NFCSF) ने केंद्र सरकार से चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य (एमएसपी) 35 फीसदी बढ़ाकर 42 रुपये प्रति किलोग्राम करने को कहा है. एमएसपी की शुरुआत 2018 में की गई थी और इसे फरवरी 2019 में अंतिम बार संशोधित कर 31 रुपये प्रति किलोग्राम किया गया था. हालांकि, चीनी की कीमतें एमएसपी से अधिक चल रही हैं. महाराष्ट्र में एक्स-मिल चीनी की कीमतें 36 रुपये प्रति किलोग्राम हैं, जबकि खुदरा कीमतें 42-44 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच हैं.
ट्रेड बॉडी NFCSF ने कहा कि हमने केंद्र से एक्स चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य यानी एमएसपी बढ़ाकर कम से कम 42 रुपये प्रति किलोग्राम किया जाए. क्योंकि गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) हर साल लगातार बढ़ रहा है. ट्रेड बॉडी NFCSF ने कहा कि इस संबंध में केंद्र सरकार को अपना प्रस्ताव पहले ही सौंप दिया है. उम्मीद जताई गई कि पीएम मोदी के निर्देश पर केंद्रीय मंत्रिमंडल पहले सौ दिनों के रोडमैप में चीनी के एमएसपी में बढ़ोत्तरी पर सकारात्मक फैसला ले सकता है.
ट्रेड बॉडी NFCSF ने दावा किया कि वह सहकारी चीनी मिलों की ओर से चीनी विकास कोष से लिए गए 620 करोड़ रुपये के दंडात्मक ब्याज को माफ करने और कुल 812 करोड़ रुपये के बकाया ऋण का पुनर्गठन करने के लिए केंद्र को मनाने में सफल रहा है. कहा गया कि विभिन्न कारणों से 1378 करोड़ रुपए की अदायगी बाकी थी. शेष 758 करोड़ रुपए की मूल राशि और ब्याज की अदायगी के लिए एनसीडीसी के माध्यम से रियायती ब्याज दर पर राशि उपलब्ध कराने के लिए संबंधित कारखानों की बैठक हुई. कहा गया कि देश के चीनी उद्योग के अगले 10 वर्षों के लिए एक व्यापक रणनीतिक रोड मैप तैयार करने का काम वर्तमान में मुंबई में एक विशेषज्ञ और पेशेवर संगठन के माध्यम से चल रहा है.
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