2024-25 के रबी सीजन में, सरकारी एजेंसियां इस बार सरसों की खरीद को बढ़ाने की तैयारी में हैं. पिछले साल, तिलहन सोयाबीन और मूंगफली की रिकॉर्ड खरीद के बाद, अब इन एजेंसियों का लक्ष्य सरसों की खरीद को भी बड़े पैमाने पर बढ़ाना है, क्योंकि मंडी की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के करीब चल रही हैं.
सरकार ने 2024-25 के रबी सीजन के लिए मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत प्रमुख उत्पादन राज्यों में 1.5 मीट्रिक टन सरसों की खरीद को मंजूरी दी है. इस सीजन में सरसों का उत्पादन 11.52 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो पिछले साल के 13.16 मिलियन टन के मुकाबले लगभग 5% कम है. कृषि मंत्रालय के मुताबिक, 2024-25 में रबी सीजन के लिए सरसों का उत्पादन 121 लाख टन तक हो सकता है.
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सरकार ने मध्य प्रदेश (0.49 मिलियन टन), उत्तर प्रदेश (0.47 मिलियन टन), हरियाणा (0.33 मिलियन टन), गुजरात (0.12 मिलियन टन), असम (62,774 टन) और छत्तीसगढ़ (3,050 टन) के लिए सरसों की खरीद को मंजूरी दी है. हालांकि, खरीद की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है. सरकारी एजेंसियां, जैसे नेफेड और एनसीसीएफ ने असम में सरसों की खरीद शुरू कर दी है. बाकी राज्यों में खरीद अगले महीने से शुरू होगी.
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पिछले रबी सीजन में 131 लाख टन सरसों का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था, फिर भी मंडी की कीमतें MSP से नीचे चल रही थीं. व्यापारियों का मानना है कि अगले कुछ हफ्तों में नई फसल की आवक बढ़ने के कारण मंडी की कीमतें 5,950 रुपये प्रति क्विंटल के MSP से नीचे गिर सकती हैं.
सरसों तेल की बढ़ती कीमतों के कारण, फरवरी 2025 में सरसों तेल की महंगाई 19.48% के उच्चतम स्तर पर रही. खाद्य तेल श्रेणी में महंगाई पिछले महीने 16.36% तक रही थी, जो कि उपभोक्ताओं पर भारी असर डाल रही है.
सरकार द्वारा सरसों के लिए मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत खरीद को बढ़ाने की योजना कृषि क्षेत्र के लिए राहतकारी हो सकती है. इससे किसानों को सही मूल्य मिल सकेगा और सरकार के लिए बाजार में संतुलन बनाए रखना आसान होगा. आने वाले समय में, राजस्थान और अन्य प्रमुख राज्यों से सरकार को खरीद के लिए मांग मिलने की संभावना है.
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