भारत में अमरूद की खेती 17वीं शताब्दी से की जा रही है. अमरूद की फसल आम, केला और नींबू के बाद चौथे स्थान पर उगाई जा रही है. इसके साथ ही भारत की जलवायु में पैदा होने वाले अमरूद की मांग विदेशों में भी बढ़ती जा रही है, जिसके कारण इसकी व्यावसायिक खेती भी की जा रही है. अमरूद का स्वाद अधिक स्वादिष्ट और मीठा होता है, जिसके कारण इसे खाने के लिए सबसे अधिक उपयोग किया जाता है. अमरूद में कई औषधीय गुण भी होते हैं, इसका उपयोग मुख्य रूप से दांतों से संबंधित बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है और इसकी पत्तियों को चबाने से दांतों में सड़न का खतरा कम हो जाता है. वहीं पोषक तत्वों की बात करें तो अमरुद में विटामिन ए, बी और सी की मात्रा अधिक पाई जाती है. इसमें कैल्शियम, आयरन और फास्फोरस भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. जिस वजह से अमरूद की मांग हमेशा बनी रहती है. लेकिन वहीं अमरूद का जानी दुश्मन मक्खी कीट की वजह से उत्पादन पर काफी असर पड़ता है. ऐसे में इस कीट से अमरूद की फसल को बचाने के लिए किसान इन दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं.
यह कीट अमरूद की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता है. खासकर बारिश के समय फसलों पर इसका प्रकोप सबसे अधिक होता है. यह मक्खी पीले रंग की होती है, जो घरेलू मक्खी से आकार में थोड़ी बड़ी होती है. इसे डॉकस डार्सिलिस के नाम से जाना जाता है. यह मक्खी फलों के अंदर समूह में अंडे देती है. ये अंडे सफेद रंग के होते हैं और छोटे चावल के दानों के आकार के होते हैं. रोपण के 2-3 दिन बाद अंडों से बिना पैर वाले सफेद कीड़े निकलते हैं और फल के अंदर का गूदा खाना शुरू कर देते हैं. जिस वजह से फलों में सड़न हो जाती है. वे कमजोर होकर गिरने लगते हैं.
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