सर्दियों में देखभाल के आसान तरीकेभारत में कई किसान और बागवान लीची, अनार और पपीता जैसे फलदार पौधे लगाते हैं. इन पौधों से अच्छी आमदनी होती है, लेकिन सही समय पर सही देखभाल बहुत जरूरी होती है. खासकर सर्दियों के मौसम में पाला, कीट और पोषक तत्वों की कमी से पौधों को नुकसान हो सकता है. इस महीने ठंड बहुत ज्यादा पड़ती है और पाला गिरने की पूरी संभावना होती है. पाला लीची के पौधों के लिए बहुत नुकसानदायक होता है, खासकर नए और छोटे पौधों के लिए. इसलिए लीची के बागानों में बचाव के उपाय करना जरूरी है. नए लगाए गए पौधों के चारों ओर हल्की सिंचाई करनी चाहिए, ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे. छोटे पौधों को घास, पुआल, फसल के सूखे अवशेष या पॉलीथीन से ढक देना चाहिए. इससे ठंडी हवा सीधे पौधों पर नहीं लगती और पौधे सुरक्षित रहते हैं.
पाले से बचाने के लिए कुछ दवाओं का छिड़काव भी फायदेमंद होता है. सल्फर वाली दवा जैसे डाइमिथाइल सल्फो ऑक्साइड का हल्का घोल या थायो यूरिया का बहुत कम मात्रा में छिड़काव करने से पौधों को पाले से ताकत मिलती है और नुकसान कम होता है.
लीची के पौधों में मिलीबग या कड़ी कीट का हमला भी होता है. यह कीट नीचे से ऊपर चढ़कर पौधे को नुकसान पहुंचाता है. इससे बचने के लिए पेड़ के चारों ओर मिट्टी में दवा का बुरकाव किया जाता है. इसके बाद पेड़ के तने पर जमीन से थोड़ी ऊंचाई पर मोटी पॉलीथीन की पट्टी बांध दी जाती है. पट्टी के किनारों पर गीली मिट्टी या ग्रीस लगा दी जाती है, ताकि कीट ऊपर न जा सके.
अच्छे फूल और फल पाने के लिए लीची में जिंक की जरूरत होती है. मंजरी आने से पहले जिंक सल्फेट का हल्का घोल बनाकर पौधों पर छिड़काव करने से फूल अच्छे आते हैं और फल भी अच्छे बनते हैं.
अनार के पौधों को मजबूत बनाने और अच्छे फल पाने के लिए सही खाद देना बहुत जरूरी है. अम्बे बहार अनार में हर साल प्रति पेड़ नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की जरूरत होती है. ये खाद पौधों को ताकत देती हैं, जड़ें मजबूत बनाती हैं और फल को मीठा और बड़ा बनाती हैं. सही मात्रा में खाद देने से अनार का पौधा स्वस्थ रहता है और पैदावार बढ़ती है.
पपीता तेजी से बढ़ने वाला पौधा है. पौधा लगाने के करीब छह महीने बाद इसमें खाद देना शुरू किया जाता है. पपीता के पौधों को नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम की जरूरत होती है. इन खादों को एक साथ न देकर दो या तीन बार में दिया जाता है. पहली बार फूल आने से पहले और दूसरी बार फल लगने के समय खाद देने से पौधा मजबूत होता है और फल ज्यादा आते हैं.
इस तरह सही समय पर सिंचाई, खाद और सुरक्षा करने से लीची, अनार और पपीता के पौधे स्वस्थ रहते हैं और किसान को अच्छी उपज मिलती है.
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