तमिलनाडु के धर्मपुरी और कृष्णगिरि जिले के किसान आम के पेड़ों पर देर से फूल आने से परेशान हैं और उन्हें डर है कि गर्मी के मौसम में पैदावार गिर सकती है. फूल आने का मौसम आमतौर पर दिसंबर-जनवरी में होता है. किसानों का कहना है कि फूल आने में देरी से पकने में देरी होगी, जिससे गर्मियों में पानी की जरूरत बढ़ जाएगी. उन्होंने सरकार से गर्मी बढ़ने की स्थिति में पानी खरीदने के लिए सब्सिडी देने की मांग की है.
आम के किसानों को पेड़ पर हर फूल खुशी का एहसास करता है. लेकिन किसान चिंतित हैं, क्योंकि धर्मपुरी और कृष्णगिरि में पिछले दो साल उनके लिए खराब रहे हैं. पिछले साल भीषण गर्मी की लहर थी जिसने कुल 47,000 हेक्टेयर खेती के 90 परसेंट से अधिक हिस्से को प्रभावित किया और उससे एक साल पहले पेड़ हॉपर फ्लाई के हमले से प्रभावित हुए थे.
पेरियामपट्टी के एक किसान ए. मुरुगेसन ने कहा, हमारी चिंताएं गलत नहीं हैं क्योंकि आम के पेड़ उगाने वाले किसान साल में एक बार मुनाफा कमाते हैं. यह पैसा फिर से आम के खेतों में लगाया जाता है. जो बचता है, उससे परिवार का भरण-पोषण होता है. इसलिए देर से फूल खिलना हमें परेशान करता है.
किसान ने कहा, फूल दिसंबर के अंत या जनवरी की शुरुआत में खिलने शुरू हो जाने चाहिए थे. लेकिन इस साल यह एक महीने देरी से खिल रहा है. इसका मतलब है कि कीटों के हमले का जोखिम बढ़ गया है और पानी की अधिक मांग है.
मुरुगेसन ने कहा, "यह सबको पता है कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, हॉपर (थाथुपोची) मक्खियां तेजी से बढ़ेंगी और हमारे पास इसे रोकने का कोई उपाय नहीं है. हम इन पर अंकुश लगाने के लिए केवल कीटनाशकों और रसायनों पर निर्भर रह सकते हैं. गर्मी के बढ़ने पर कुएं सूख जाएंगे और हमें पानी खरीदना पड़ेगा."
करीमंगलम के आर सिबिराज ने कहा, "पिछले हफ्ते से धर्मपुरी में कोहरा बढ़ गया है. अगर यही स्थिति रही तो इस बात की पूरी संभावना है कि हम फूल खो देंगे. हवा में नमी की वजह से उत्पादन पर भी असर पड़ सकता है."
कृष्णागिरी के किसान केएम सुंदरराजन ने कहा, "आम की खेती करने वालों की स्थिति बहुत खराब है. पिछले साल किसानों को कोई मुनाफा नहीं हुआ. उनकी परेशानी और भी बढ़ गई, अपने पेड़ों को गर्मी की लहर (108 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान) से बचाने के लिए किसानों ने सिर्फ पेड़ों को पानी देने के लिए बड़ी रकम उधार ली, जिससे कई किसान कर्ज में डूब गए. गर्मी के मौसम के आने के साथ ही, जहां बारिश नहीं होगी वहां आम किसानों को पानी खरीदने के लिए ज्यादा पैसे की जरूरत होगी. कीटनाशक की लागत के साथ, प्रत्येक किसान को प्रति एकड़ 25,000-30,000 रुपये की जरूरत होगी."
उन्होंने कहा, "पिछले साल 90 परसेंट नुकसान के बावजूद राज्य सरकार ने कोई सहायता नहीं दी. बागवानी विभाग के कर्मचारियों ने हमारे आंकड़े जुटाए, लेकिन कोई अन्य प्रयास नहीं किए गए. इसलिए इस साल का आम का मौसम किसानों के लिए बेहद अहम है. हालांकि अभी तक कोई मौसमी प्रभाव नहीं पड़ा है, लेकिन हम अभी भी आराम से नहीं रह सकते. हमें पानी खरीदने के लिए सरकार से सहायता की जरूरत है."
बागवानी विभाग के अधिकारी धर्मपुरी ने 'TNIE' से कहा, "फूलों का देर से खिलना चिंता का कारण नहीं है. यह 'फेंगल' चक्रवात का असर है, क्योंकि भारी बारिश के कारण मिट्टी में नमी की अधिकता हो गई है. लेकिन गर्मी शुरू होने के साथ ही नमी खत्म हो गई है और फूल खिलने शुरू हो गए हैं. उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ेगा."
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