मंडुआ की खेती करने वाले किसानों के लिए केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी में 68 फीसदी की बढ़ोत्तरी की है. इसके चलते मंडुआ (रागी) की खेती किसानों ने बढ़ा दी है. उत्तराखंड सरकार मंडुआ किसानों से वित्त वर्ष 2025 में अब तक 4200 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी पर 3100 मीट्रिक टन से अधिक मंडुआ खरीदा है.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मंडुआ उत्तराखंड में पारंपरिक रूप से उगाया जाता है. यह पौष्टिक होने के साथ-साथ जैविक भी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बाजरा उत्पादों को बढ़ावा दिए जाने के बाद मंडुआ की मांग बढ़ गई है. इसलिए राज्य सरकार सीधे किसानों से मंडुआ खरीद कर उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है. इसके सकारात्मक परिणाम अब दिखने लगे हैं.
मंडुआ की खेती पारंपरिक रूप से उत्तराखंड के सीढ़ीदार खेतों में की जाती है, लेकिन कुछ साल पहले तक सरकार की ओर से कोई समर्थन नहीं मिलने के कारण यह एक उपेक्षित फसल थी. हालांकि, बाजरा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों से उत्तराखंड में मंडुआ की खेती में विस्तार हुआ है. 2021-22 में मंडुआ के एमएसपी में 2500 रुपये प्रति क्विंटल से 2024-25 में 4200 रुपये प्रति क्विंटल तक की 68 फीसदी की बढ़ोतरी ने भी उत्तराखंड में किसानों को मंडुआ की खेती फिर से शुरू करने के लिए प्रेरित किया है.
उत्तराखंड सरकार ने चालू वित्त वर्ष में अब तक विभिन्न सहकारी समितियों और किसान संघों के जरिए 2024 में किसानों से 4200 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी पर 3100 मीट्रिक टन से अधिक मंडुआ खरीदा है. किसानों को मंडुआ के लिए 42.46 रुपये प्रति किलोग्राम का मूल्य दिया गया. मंडुआ की खरीद के लिए सरकार ने किसान संघों को 150 रुपये प्रति क्विंटल और बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को 50,000 रुपये प्रति केंद्र की प्रोत्साहन राशि प्रदान की.
दूरदराज के गांवों में किसानों से मंडुआ खरीदने के लिए बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों की मदद से पिछले साल विभिन्न स्थानों पर बड़ी संख्या में मंडुआ संग्रहण केंद्र स्थापित किए गए थे. 2020-21 में इन संग्रहण केंद्रों की कुल संख्या 23 थी, जिसे बाद में 2024-25 में बढ़ाकर 270 कर दिया गया.
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