देश में किसान अब धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं. पारंपरिक फसलों के साथ-साथ वे कम समय में बढ़िया मुनाफा देने वाली फसलों की भी खेती करने लगे हैं. इस दौरान किसान अब सीजनल सब्जियों की खेती की तरफ तेजी से रुख कर रहे है. मेथी भी कुछ इसी तरह की फसल है. किसान इसकी खेती कर अच्छा अच्छी कमाई कर सकते हैं. मेथी की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है, इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. मेथी से दो तरीके से लाभ कमाया जा सकता है. मेथी को हरी अवस्था में इसके पत्तों को बेचकर और सूखी अवस्था में इसके दोनों को भी बेचकर किसान बढ़िया कमाई कर सकते हैं.
दहलनी कुल की फसलों में मैथी का भी अपना विशिष्ट स्थान है.मैथी को सब्जी, अचार और सर्दियों में लड्डू आदि बनाने में प्रयोग किया जाता है.इसके स्वाद में कड़वापन होता है पर इसकी खुशबू काफी अच्छी होती है. इसमें कई औषधीय गुण होते हैं इसके कारण बाजार में इसकी डिमांड पूरे साल बनी रहती है ऐसे में किसानों के लिए मैथी की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है. मेथी की खेती के लिए सितंबर से अक्टूबर का महीना सबसे उपयुक्त होता है. खरीफ सीजन चालू है, ऐसे में किसान किस्मों का चयन से खेती कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों ले सकते हैं.
इस किस्म के पौधे राजस्थान की सभी स्थानीय किस्मों से ज्यादा पैदावार देने वाली किस्म के रूप में जाने जाते है. इस किस्म के दाने चमकीले और आकर्षक होते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इसके पौधे बीज रोपाई के लगभग 140 से 150 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधों पर जड़ गलन और छाछया रोग का प्रभाव बहुत कम देखने को मिलता है.
मेथी की कश्मीरी किस्म की ज्यादातर खूबियां हालांकि पूसा अर्ली बंचिंग किस्म से मिलती जुलती हैं, लेकिन यह 15 दिन देर से पकने वाली किस्म है, जो ठंड ज्यादा बरदाश्त कर लेती है. इस के फूल सफेद रंग के होते हैं और फलियों की लंबाई 6-8 सेंटीमीटर होती है. पहाड़ी इलाकों के लिए यह एक अच्छी किस्म है.
ये भी पढ़ें- Onion subsidy : किसानों की नाराजगी के बीच आठ महीने बाद अब ट्रांसफर की गई प्याज सब्सिडी, जानिए इसके बारे में सबकुछ
मेथी की इस किस्म के पौधे मध्यम समय में अधिक उत्पादन देने के लिए तैयार किये गए हैं. इस किस्म के पौधे सामान्य ऊंचाई वाले होते हैं. जिनकी पत्तियों की चौड़ाई अधिक पाई जाती है. हरी पत्तियों में रूप में इसके पौधे की तीन बार आसानी से कटाई की जा सकती है. जबकि इस किस्म को हरी पत्तियों और दाने दोनों की उपज लेने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 135 से 140 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका हरी पत्तियों के रूप में 80 क्विंटल और दानो के रूप में 20 से 25 क्विंटल के आसपास पैदावार प्राप्त होती है. इसके दानो का आकार बड़ा, मोटा और स्वाद कम कड़वा पाया जाता है. इस किस्म के पौधों पर कीट रोगों का प्रभाव कम देखने को मिलता है.
मेथी की इस किस्म को पंजाब में अधिक उगाया जाता है. इस किस्म के पौधे अधिक गहरे हरे दिखाई देते हैं. इसके पौधे पर फलियाँ अधिक मात्रा में पाई जाती हैं. इसके पौधों की एक कटाई के बाद इसकी फसल आसानी से ली जा सकती है. इस किस्म के दाने आकर्षक मोटे, पीले और चमकदार होते हैं. इस किस्म के पौधों की प्रति हेक्टेयर औसतन पैदावार 18 से 20 क्विंटल के बीच पाई जाती हैं.
मेथी की इस जल्द पकने वाली किस्म को भी आईसीएआर द्वारा विकसित किया गया है. इस के फूल गुच्छों में आते हैं. इस में 2-3 बार कटाई की जा सकती है. इस की फलियां 6-8 सेंटीमीटर लंबी होती हैं. इस किस्म का बीज 4 महीने में तैयार हो जाता है.
ये भी पढ़ें- Tomato Price: किसानों ने सड़क पर फेंका टमाटर, खेत से मंडी तक ले जाने का खर्च तक निकालना मुश्किल
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today