जिन किसानों ने अब तक धान की नर्सरी की तैयारी, हल्दी या अदरक की बुआई शुरू नहीं की है, उनके लिए अब भी मौका है. डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर के वैज्ञानिकों ने बताया कि जून का यह समय मध्यम अवधि के धान, हल्दी और अदरक की बुआई के लिए उपयुक्त है.
धान की बात करें तो रोहिणी नक्षत्र के साथ ही लंबी अवधि वाले धान की नर्सरी डालने का समय शुरू हो चुका है. लेकिन अगर किसी कारणवश किसान देरी कर गए हैं तो जून के पहले पखवाड़े तक इसे लगाया जा सकता है. इसके लिए राजश्री, मंसूरी, स्वर्ण सब-1 और वी.पी.टी-5204 जैसी उन्नत किस्मों का चयन करने की सलाह दी गई है.
वहीं, मध्यम अवधि वाले धान की नर्सरी तैयार करने का यह सबसे उपयुक्त समय है. इसके लिए संतोष, सीता, सरोज, राजश्री, प्रभात, राजेंद्र सुवासिनी, राजेंद्र कस्तूरी, राजेंद्र भगवती, कामिनी और सुगंधा जैसी किस्मों को अपनाया जा सकता है. नर्सरी का क्षेत्रफल रोपाई वाले क्षेत्र के दसवें हिस्से के बराबर रखें. बीज उपचार अवश्य करें. एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 800 से 1000 वर्ग मीटर में नर्सरी पर्याप्त मानी जाती है.
विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, हल्दी के लिए ‘राजेंद्र सोनिया’ और ‘राजेंद्र सोनाली’, जबकि अदरक के लिए ‘मरान’ और ‘नदिया’ किस्में उत्तर बिहार के लिए सर्वोत्तम मानी जाती हैं. बुआई से पहले बीज का उपचार करना जरूरी है. हल्दी के लिए 20–25 क्विंटल और अदरक के लिए 18–20 क्विंटल बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त है. बीज का आकार 30–35 ग्राम रखें, जिनमें 3–5 स्वस्थ कलियां हों.
कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों से आग्रह किया है कि वे इस मौसमी मौके का लाभ उठाएं और तय समयसीमा में बुआई की प्रक्रिया पूरी कर लें. इससे बेहतर उत्पादन और गुणवत्ता की गारंटी मिल सकेगी. किसान अगर समय पर धान की बुआई करेंगे तो उन्हें सही समय पर सही उत्पादन भी मिलेगा. इसी तरह किसानों को हल्दी और अदरक की बुआई भी सही समय पर जरूर कर देनी चाहिए.
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