Potato crops: आलू की फसल में लग रहा है झुलसा रोग तो ऐसे करें पहचान, फटाफट कर लें ये उपाय

Potato crops: आलू की फसल में लग रहा है झुलसा रोग तो ऐसे करें पहचान, फटाफट कर लें ये उपाय

आलू की फसल उत्तर प्रदेश की मुख्य नकदी फसल है जिसमें अगेती झुलसा और पछेती झुलसा दोनों बीमारी का संक्रमण होता है. झुलसा बीमारी फ़ाइटोप्थोरा नामक कवक के कारण फैलता है. चार-पांच दिनों के भीतर पौधे की हरी पत्तियों को यह रोग नष्ट कर देता है.

Advertisement
Potato crops: आलू की फसल में लग रहा है झुलसा रोग तो ऐसे करें पहचान, फटाफट कर लें ये उपाय scorching disease

आलू की फसल में बारिश के बाद झुलसा रोग का सबसे ज्यादा खतरा रहता है. इस रोग के लगने से फसल को 40 से 45 फ़ीसदी का नुकसान हो जाता है. आलू की फसल उत्तर प्रदेश की मुख्य नकदी फसल है जिसमें अगेती झुलसा और पछेती झुलसा दोनों बीमारी का संक्रमण होता है. झुलसा बीमारी फ़ाइटोप्थोरा नामक कवक के कारण फैलता है. जब वातावरण में नमी और रोशनी कम होती है, जैसे कि बारिश या बारिश के बाद इस रोग का प्रकोप पत्तियों से शुरू होता है. चार-पांच दिनों के भीतर पौधे की हरी पत्तियों को यह रोग नष्ट कर देता है. पत्तियों के निचली सतह पर सफेद रंग के गोले बन जाते हैं जो बाद में भूरे और काले हो जाते हैं. कुछ ही दिनों के भीतर आलू के कंद का आकार छोटा हो जाता है और उत्पादन में भी इससे 25 से 30 फ़ीसदी की कमी आती है. इस खबर में किसान तक कृषि वैज्ञानिक के जरिए इस बीमारी की पहचान और बचाव के उपाय बताए हैं जिससे किसानों को इस बीमारी से लड़ने में काफी मदद मिलेगी.

कैसे करें अगेती झुलसा की पहचान

रबी सीजन में आलू की बुवाई होती है. उत्तर प्रदेश आलू उत्पादन में अग्रणी राज्य है. ठंड के मौसम में आलू की फसल को पहले से बचाव करना ज्यादा जरूरी होता है. ठंड का सबसे ज्यादा प्रभाव आलू ,सरसों और चना पर देखने को मिलता है. लखनऊ स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष और प्रधान कृषि वैज्ञानिक डॉ अखिलेश दुबे का कहना है की बारिश के बाद मौसम में नमी होने के चलते अगेती झुलसा संक्रमण का खतरा रहता है जिसको किसानों को जानना बेहद जरूरी है. अधिक पाले के कारण जब पत्तियां पीली पड़ जाती हैं तो इससे आलू सड़ने लगता है. ऐसी स्थिति में झुलसा के कारण पैदावार भी प्रभावित होती है. झुलसा रोग को रोकने के लिए किसानों को मैंकोजीप और  मेटालेकजिम को मिलाकर एक ग्राम को 1 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. इससे यह बीमारी नियंत्रण में आ जाती है. इसी तरह पछेती झुलसा पर भी यह दवा काम करती है.

ये भी पढ़ें :Goat Farming: बकरी और उसके बच्चों को बड़ी बीमारियों से बचाएगा CIRG का खास मकान

इन कीटों से भी फसल को होता है नुकसान

आलू की फसल में झुलसा रोग से ही नहीं बल्कि माहू और थ्रिप्स किट से भी खतरा रहता है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश दुबे ने बताया कि किसानों को रोज अपनी फसलों का निरीक्षण करना चाहिए.  थ्रिप्स और माहू के कीट पत्तियों के पिछले भाग में चिपके रहते हैं. निरीक्षण करने में इस तरह के अगर कीट दिखाई दें तो उन्हें एमीदाक्लोपीईड की 0.3ml को प्रति लीटर में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए जिससे यह बीमारी पूरी तरीके से नियंत्रित हो जाती है.

आलू के बीजों को चमकदार बनाना हो तो करें उपाय

फसल के बचाव के लिए किसानों को कुछ खास उपाय भी करने चाहिए. आलू का बेहतर उत्पादन लेने और कमाई करने के लिए किसानों को सल्फर ऑफ पोटाश की एक लीटर मात्रा को 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. इससे आलू का कंद मोटा होता है और बीजों में चमक बढ़ती है. इससे किसानों को अच्छे उत्पादन के साथ-साथ उसके बीज से भी अच्छी कमाई होती है.

POST A COMMENT