गुजरात के सौराष्ट्र के दो किसानों ने एक ऐसे प्रयोग में सफलता हासिल की है जिसे सिर्फ कुछ ही फसलों तक ही सीमित कर दियर गया था. लेकिन इन दोनों ने अच्छा मुनाफा कमाकर बाकी किसानों को भी इसी रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया है. गुजरात के बोटाद के दो किसानों ने नेट हाउस मैथेड से टमाटर की खेती में सफलता हासिल की है. ये दोनों किसान पिछले कई सालों से दोस्त हैं और अब खेती में भी साथ मिलकर बाकी किसानों को नए तरीकों के बारे में बता रहे हैं.
किसान हरेशभाई पटेल ओर अशोकभाई सौराष्ट्र के तहत आने वाले बोटाद जिले के तहत आने वाले शिरवानिया गांव के रहने वाले हैं. अखबार संदेश की रिपोर्ट के मुताबिक ये दोनों अभी तक नेटहाउस मैथेड से खीरा और मिर्च उगा रहे थे. फिर हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने उन्हें गाइड किया और फिर इस साल उन्होंने इसी तरीके से टमाटर उगाया है. उनका कहना है कि इस प्रयोग से उन्हें काफी सफलता मिली है. बोटाद जिले के दो किसानों ने नेटहाउस की मदद से खेती में नए तरीके को अपनाया है.
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हरेशभाई पटेल ओर अशोकभाई की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि की दिशा में कई नये रास्ते खुल रहे हैं. साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री भूपेन्द्रभाई पटेल किसानों को बागवानी और पशुपालन व्यवसायों में कुछ नया करने के लिए भी मार्गदर्शन करने लगे हैं. हरेशभाई पटेल और अशोकभाई वर्तमान में नेटहाउस विधि का उपयोग करके टमाटर की खेती कर रहे हैं. अशोकभाई के अनुसार उन्हें नेट हाउस बनाने के लिए सरकार से 65 प्रतिशत सब्सिडी मिली. इसके अलावा बोटाद जिला बागवानी कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों ने उनका लगातार मार्गदर्शन किया.
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नेटहाउस विधि का उपयोग करके दोनों ने टमाटर की खेती में बंपर फसल हासिल की है. दोनों ने एक साल पहले ही नेट हाउस फार्मिंग शुरू की है. सबसे पहले नेट हाउस से 2200 मन खीरा मिला जिससे उन्हें काफी मुनाफा हुआ. दोनों ने खीरे को राजकोट और अहमदाबाद में 20 से 40 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा. इससे कुल 10 लाख 50 हजार की बिक्री हुई. इस सफलता से उत्तसाहित होकर दोनों ने अब फसल बदलने के लिए टमाटर लगाए गए हैं. 16 नवंबर 2024 को दोनों ने टमाटर लगाए और अब टमाटर की पहली फसल तैयार है. इन टमाटरों का बाजार मूल्य 15 रुपये प्रति किलोग्राम तक है.
हरेशभाई पटेल ओर अशोकभाई के अनुसार नेट हाउस खेती से बीमारियां नहीं होती हैं. इस वजह से फसलों पर कीटनाशकों का उपयोग भी सीमित है. उनकी मानें तो आने वाले समय में दोनों नेटहाउस में ही पूरी तरह से ऑर्गेनिक फॉर्मिंग की तरफ बढ़ रहे हैं. साथ ही जाल के कारण मिट्टी की नमी बरकरार रहती है जिससे कम पानी में भी खेती की जा सकती है. हरेशभाई की मानें तो उन्होंने कोई शिक्षा नहीं ली है इसलिए खेती के इस नए तरीके को समझने में उन्हें थोड़ी दिक्कतें आती हैं. लेकिन उनके दोस्त अशोकभाई और हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट के अधिकारियों के मार्गदर्शन से उन्हें खेती क्षेत्र में भी बहुत अच्छा उत्पादन मिल रहा है. चूंकि नेटहाउस में खेती से जलवायु को नियंत्रित किया जा सकता है, इसलिए साल में कई बार फसलें ली जा सकती हैं.
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