Cotton Farming: कॉटन की बजाय मक्का और दालों की बुवाई कर रहे किसान, खरीफ सीजन में कपास का रकबा घटकर आधा रह गया 

Cotton Farming: कॉटन की बजाय मक्का और दालों की बुवाई कर रहे किसान, खरीफ सीजन में कपास का रकबा घटकर आधा रह गया 

उत्तर भारत में खरीफ सीजन के लिए कपास की बुआई लगभग पूरी हो चुकी है. ऐसे में यहां कपास के रकबे में लगभग आधे की कमी आई है. क्योंकि, पंजाब और हरियाणा के किसानों को पिछले साल पिंक बॉलवर्म कीट के हमले के चलते नुकसान उठाना पड़ा था और उत्पादन लागत बढ़ गई थी. 

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Cotton Farming: कॉटन की बजाय मक्का और दालों की बुवाई कर रहे किसान, खरीफ सीजन में कपास का रकबा घटकर आधा रह गया गुजरात में कपास के रकबे में 12-15 फीसदी की गिरावट की आशंका है.

इस फसल सीजन में देश भर में कपास का रकबा कम होने की आशंका है. क्योंकि प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात और महाराष्ट्र के किसान वैश्विक कीमतों में कमजोरी के बीच दलहन और मक्का जैसी आकर्षक फसलें लगाना पसंद कर रहे हैं. उत्तर भारत में खरीफ की बुआई लगभग पूरी हो चुकी है. ऐसे में यहां कपास के रकबे में लगभग आधे की कमी आई है. राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में चालू खरीफ सीजन में कपास की बुआई 40 से 60 प्रतिशत कम हुई है, जिसने उत्पादन की चिंताओं को बल दिया है. 

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया का मानना ​​है कि पिछले साल के 124.69 लाख हेक्टेयर रकबे की तुलना में खरीफ 2024 सीजन में रकबे में भारी गिरावट आई है. उत्तर भारत में खरीफ की बुआई लगभग पूरी हो चुकी है. ऐसे में यहां कपास के रकबे में लगभग आधे की कमी आई है. क्योंकि, पंजाब और हरियाणा के किसानों को पिछले साल पिंक बॉलवर्म कीट के हमले के चलते नुकसान उठाना पड़ा था और उत्पादन लागत बढ़ गई थी. 

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा कि बैठक में उत्तर भारत के सदस्यों से प्राप्त जानकारी के अनुसार राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में चालू खरीफ सीजन में कपास की बुआई 40 से 60 प्रतिशत कम है. राज्य से व्यापार फीडबैक के आधार पर सबसे बड़े उत्पादक गुजरात में इस साल कपास के रकबे में 12-15 प्रतिशत की गिरावट आने की उम्मीद है.

कपास की बजाय ये फसलों की बुवाई कर रहे किसान 

बताया गया है कि गुजरात के कुछ हिस्सों में बारिश के कारण किसान पहले ही मूंगफली और अन्य फसलों की ओर रुख कर चुके हैं. देश में सबसे बड़ा कपास रकबा रखने वाले महाराष्ट्र में भी स्थिति गुजरात से अलग नहीं है. एसोसिएशन के अनुसार महाराष्ट्र राज्य संघ और अन्य व्यापार सदस्य रकबे में 10-15 प्रतिशत की कमी की आशंका जता रहे हैं. महाराष्ट्र के किसान कपास की जगह तूर यानी अरहर दाल, मक्का और सोयाबीन की खेती कर रहे हैं.

कीटों की वजह से रिस्क नहीं लेना चाहते किसान

एसोसिएशन ने कहा कि बीज वितरकों से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर उत्तर भारत में कपास बुवाई रकबा करीब आधा रह गया है. क्योंकि पंजाब और हरियाणा में किसानों को कीटों के हमले बढ़ने के कारण फसल का नुकसान उठाना पड़ा है. कहा कि राज्य में कपास के बीजों की बिक्री धीमी है. पानी की कमी के कारण मध्य और दक्षिण भारत में कपास की शुरुआती बुवाई बहुत कम हुई है. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में रकबा दसवें हिस्से तक कम होने की संभावना है, जबकि दक्षिण में किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित होने का इंतजार कर रहे हैं.

पिछले साल के कपास बुवाई आंकड़े 

आंकड़ों के अनुसार खरीफ 2023-24 सीज़न के दौरान देशभर में कपास बुवाई का रकबा 124.69 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था. इसमें से महाराष्ट्र में 42.34 लाख हेक्टेयर रकबे के साथ सबसे ऊपर है. इसके बाद गुजरात 26.83 लाख हेक्टेयर के साथ दूसरे नंबर पर और तेलंगाना 18.18 लाख हेक्टेयर के साथ चौथे स्थान पर है.

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