अभी तेलंगाना के अदिलाबाद में रहने वाले किसानों का गुस्सा शांत भी नहीं हुआ कि अब एक और नए नियम ने आग में घी का काम किया है. राज्य में अब अगर किसानों को बीज चाहिए तो उन्हें पहले अधिकारियों की मंजूरी लेनी होगी. इस नए नियम ने उनकी परेशानियों को बढ़ा दिया है. यहां के स्थानीय मीडिया का कहना है कि तेलंगाना राज्य में किसानों की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है क्योंकि सरकारी मशीनरी बीज खरीदने से जुड़ी उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है. तेलंगाना टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार तेलंगाना के सभी जिलों में बीजों की कमी हो गई है जो कि जान-बूझकर पैदा की गई है.
अब किसानों को जगित्याल जिले में बीज खरीदने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों से मंजूरी लेने के लिए कहा जा रहा है. इसकी वजह से कई जिलों में किसान बीज बेचने वाली दुकानों के सामने कतार में खड़े देखे गए. यह एक ऐसा नजारा है जो पिछले कई सालों बाद देखने को मिल रहा है. कई जगहों पर किसान अपने जूते-चप्पल या तौलिया जैसी चीजें कतार में रखकर खड़े थे क्योंकि वे भीषण गर्मी का सामना करने में असमर्थ थे.
मंगलवार को भी पुलिस को गुस्साए किसानों को नियंत्रित करने के लिए बल का प्रयोग करना पड़ा. बीज बेचने वाले दुकानदारों ने कपास के बीज की बिक्री प्रति व्यक्ति दो पैकेट तक सीमित कर दी थी. इस वजह से किसान गुस्से में थे और उनकी बहस हुई जिस वजह से पुलिस को बीच-बचाव करना पड़ा.
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बुधवार को भी मेडक, संगारेड्डी, जगितियाल, अदियालबाद और बाकी जिलों में भी इसी तरह के दृश्य देखने को मिले. जगितियाल जिले में किसान हरी खाद के बीज (जीलुगा और जानुमू) खरीदने के लिए अपनी जगह को सुरक्षित करने के लिए कतार में अपने पट्टादार पासबुक रखे रहे. राज्य में हरी खाद के बीज की कमी के कारण किसानों को वितरण केंद्रों पर भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
जगतियाल शहर के एग्रो रायथु सेवा केंद्र में बुधवार को बीज की कमी के कारण किसान सुबह से ही लाइन में लग गए. यह पहली बार था जब कृषि अधिकारियों ने किसानों से कहा कि अगर वो बीज बैग खरीदना चाहते हैं तो कृषि विस्तार अधिकारी (एईओ) की मंजूरी लेकर आएं. किसानों का कहना था कि जगतियाल के अधिकारियों ने बीज देने के लिए एईओ से साइन कराने का नया सिस्टम शुरू का दिया है जबकि पहले ऐसी कोई शर्त नहीं थी.
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किसानों का कहना है कि जब उन्हें मालूम ही नहीं है कि एईओ का ऑफिस कहा हैं तो फिर वो साइन कैसे करा सकते हैं. किसान सुबह छह बजे से ही बिना कुछ खाए-पिए केंद्र पर इंतजार कर रहे थे लेकिन दोपहर तक भी उन्हें बीज नहीं मिला. कई किसान हैरान थे कि जब किसान बीज के लिए परेशान हो रहे थे तो सरकार क्या कर रही थी. उनका कहना था कि उन्होंने कांग्रेस सरकार को इस उम्मीद के साथ चुना था कि वह किसानों के लिए अच्छे काम करेगी. अब उन्हें लगता है कि उनका फैसला गलत था.
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