किसानों को हर साल फसल बेचने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस साल भी खरीफ सीजन में किसानों को बाजरे की फसल बेचने के लिए मंडियों में धक्के खाने पड़ रहे हैं. हरियाणा के रेवाड़ी अनाज मंडी में यही हाल देखने को मिल रहा है. यहां पिछले तीन दिन से किसान गेट पास बनवाने के लिए चक्कर काट रहे हैं. उसके बावजूद उनको टोकन नहीं मिल पा रहा है. जिसके चलते किसान परेशान नजर आ रहे हैं. जबकि सरकार धान, गेहूं, बाजरा और मक्का की एमएसपी पर खरीद के पूरे इंतजाम करने का दावा कर रही है.
रेवाड़ी अनाज मंडी में किसान दूर-दूर से आकर पिछले तीन दिनों से टोकन कटवाने के लिए लाइन में खड़े हुए हैं. इसके बावजूद उनका नंबर नहीं लग रहा है. तो वहीं दूसरी तरफ किसानों को एक और परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वह यह कि सरकार की तरफ से न तो उन्हें धूप से बचाव के लिए कोई टिन शेड लगाई गई है. न तो पीने के लिए पानी की व्यवस्था है. इन असुविधाओं के बीच किसान धूप में खड़े होकर पसीना बहाते हुए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. मीडिया से बात करते हुए किसानों की आंखों से भी दर्द झलकता हुआ नजर आ रहा है.
किसानों का कहना है कि मंडी में ना तो बैठने की सही व्यवस्था है और न ही पीने का पानी की. हम किसान अपना खून पसीना बहा कर फसल को बोते हैं और वही फसल का दाना आज सड़क पर बिखर रहा है. सरकार को इसका दोषी ठहराते हुए किसानों ने कहा कि सरकार को पहले मंडी में सही व्यवस्था करनी चाहिए थी. किसानों ने गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि आने वाले चुनाव में सरकार को इसका परिणाम जरूर भुगतना पड़ेगा.
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तीन दिन से किसानों को इसी तरह परेशानी उठानी पड़ रही है. उन्हें टोकन काटने के लिए लाइनों में खड़े होकर परेशान होना पड़ रहा है. वहीं आज भी मंडी के बाहर किसानों की लंबी कतारें देखने को मिलीं. जानकारी के मुताबिक खरीद एजेंसी 2200 रुपये प्रति किवंटल के हिसाब से बाजरे की खरीद कर रही है. सरकार एमएसपी की बची राशि भांवांतर भरपाई योजना के तहत किसानों को देगी.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दक्षिण हरियाणा में बाजरे की पैदावार सबसे ज्यादा होती है. काफी किसान 1700 से 2100 रुपये प्रति क्विंटल के दाम पर बाजरा बेच चुके हैं. ये कहा जा रहा था कि एक अक्टूबर से बाजरे की एमएसपी पर खरीद की जानी है. लेकिन इस बीच किसान संगठन लगातार धरना प्रदर्शन करके बाजरे की जल्द खरीद शुरू करने की मांग कर रहे थे. जिसके बाद दो दिन पहले ही सरकार ने बाजरे की व्यावसायिक खरीद शुरू करने का फैसला लिया. लेकिन मंडी में पर्याप्त व्यवस्था न होने पर किसान गुस्सा जाहिर कर रहे हैं.
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