कॉटन कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (सीसीआई) ने महाराष्ट्र के जलगांव जिले में जामनेर, शेंदुरनी, पचोरा और बोडवाड में चार केंद्रीय कपास खरीद केंद्र खोला है. इन सभी केंद्रों को शुरू हुए लगभग 15 दिन बीत चुके हैं, लेकिन चूंकि किसान मूल्य वृद्धि का इंतजार कर रहे हैं, इसलिए देखा जा रहा है कि इन केंद्रों पर आवश्यक मात्रा में कपास नहीं आ रहा है. इसलिए संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि क्या इससे ये केंद्र बंद हो जाएंगे. पिछले कुछ महीनों में कपास के रेट में गिरावट से किसान चिंतित हैं. वो कपास को बेचने की बजाय इसका भंडारण कर रहे हैं.
हालांकि, किसानों को राहत देने के लिए सीसीआई ने केंद्र सरकार के माध्यम से कपास खरीद की वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में राज्य में 78 कपास संग्रह केंद्र शुरू किए हैं. लेकिन देखने में आ रहा है कि किसानों का रुख इन केंद्रों की ओर नहीं है. अकेले जलगांव जिले में चार केंद्र हैं और चूंकि किसान कपास नहीं ला रहे हैं, इसलिए सभी सीसीआई केंद्रों पर कपास की कमी है.
सीसीआई के केंद्रों में कपास की आवक में कमी के दो-तीन कारण बताए जा रहे हैं. एक तरफ किसानों की शिकायत है कि कपास खरीदी केंद्र पर उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. किसी भी तरह से, किसानों को आधार कार्ड और मोबाइल नंबर को लिंक करना होगा, क्योंकि इस वर्ष से कपास की खरीद ऑनलाइन की जाएगी. दूसरी समस्या यह है कि सीसीआई द्वारा कपास की कीमत जहां 7 हजार 200 रुपए दी जाती है, वहीं किसानों को कपास बिक्री की रकम 15 से 20 दिन बाद मिलती है.
सीसीआई के बोदवड केंद्र पर 15 दिन में सिर्फ 300 क्विंटल कपास की खरीदी हुई, जबकि जामनेर, पचोरा केंद्रों पर भी यही हाल है. बोडवाड खरीदी केंद्र के अधिकारी प्रवीण पाटिल ने बताया कि केवल शेंदुरनी केंद्र पर ही कपास की आमद अच्छी है. निजी जिनिंग में कपास की आवक कम हो गई है. किसानों को कपास की कीमत में बढ़ोतरी की भी उम्मीद है. इस वर्ष कपास की कीमत नहीं मिलने से किसान, व्यापारी और उद्यमी भी मंदी की मार झेल रहे हैं. इस बीच केंद्र ने अपील की है कि किसान कपास खरीद केंद्र पर रजिस्ट्रेशन कराने के बाद ही कपास लेकर आएं.
ये भी पढ़ें: सूखे के बाद अब अतिवृष्टि ने बरपाया महाराष्ट्र के किसानों पर कहर, फसलों का काफी नुकसान
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today