Mango Farming: आम दुनिया में लोगों का सबसे ज्यादा पसंदीदा फल है. इस फल की मिठास के दीवाने भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में हैं. उत्तर प्रदेश के लखनऊ का मलीहाबादी आम पूरे देश में प्रसिद्ध है. उधर, मऊ जिले के औद्योगिक क्षेत्र के रहने वाले अनमोल राय एक बीघे के बगीचे में आम की ढेर सारी विदेशी किस्में की खेती कर रहे हैं. इनमें से कुछ किस्में ऐसी हैं, जिनकी कीमत ढाई लाख रुपए प्रति किलो है. किसान तक से खास बातचीत में अनमोल राय ने बताया कि वो शौकियां इन विदेशी आमों की खेती करते हैं. उनका मकसद किसानों को जागरूक करना है. उन्होंने बताया कि उनके बगीचे में आमों की कुल 65 किस्में लगी हुईं हैं, जिसमें से 10 आम अंतर्राष्ट्रीय किस्मों के हैं.
अनमोल राय बताते हैं कि उन्होंने अपने बगीचे में आम की कई विदेशी किस्में लगाई हैं. जिनमें टॉमी एटकिंस जो फ्लोरिडा के आम की वेरायटी है. समर बहिश्त जो पाकिस्तानी आम की वैरायटी है. इसके अलावा मियां जॉकी, सिंगापुर रॉयल्स जो सिंगापुर की किस्म है. हिमसागर, सुर्ख वर्मा इत्यादि आम प्रमुख हैं. सुर्ख वर्मा लाल रंग का होता और ये वर्मा देश की किस्म है. उन्होंने बताया कि आज किसी भी देश का आम भारत में लग जाता है. क्योंकि इसको लगाने के लिए 30 से 40 डिग्री का तापमान चाहिए. जो भारतीय जलवायु में आसानी से उपलब्ध है. इसके अलावा मिट्टी के पीएच का मान 7 से 5 Ph होना चाहिए.
किसान अनमोल राय ने आगे बताया कि उनके बगीचे में मियाजा की आम भी है. जिसकी कीमत ढाई लाख रुपए प्रति किलो है. वह बताते हैं कि यह आम अपने स्वाद और सुगंध के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है. वहीं पाकिस्तान के सिंधुरी वैरायटी का भी उन्होंने आम लगाया है जिसका दाम ₹3000 किलो तक आराम से मिल जाता है. राय ने बताया कि ये सभी विदेशी किस्में वो सरकारी रिसर्च इंस्टीट्यूट से लाते हैं. जहां उन्हें इसके लिए मामूली रुपये देने पड़ते हैं.
मऊ के किसान अनमोल राय ने बताया कि युवाओं से मेरी अपील है कि इस बेरोजगारी के दौर में बहुत नौकरियों के इधर-उधर भटकने के चक्कर में ना पड़कर वह पारंपरिक खेती से हटकर आम, ड्रैगन फ्रूट तथा इनके साथ सहफसली के रूप में आदि की खेती करें. पहले की अपेक्षा हमारे यहां के पारंपरिक आम लंगड़ा दशहरी चौसा आदि की जगह हमारे वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई आम की एक से एक अच्छी-अच्छी वैरायटी उपलब्ध है, जो अपनी लोकल बाजार के साथ-साथ निर्यात की दृष्टिकोण से अच्छी भंडारण क्षमता एवं उच्च गुणवत्ता तथा स्वाद वाले आम है. उन्होंने बताया कि जैसे मल्लिका, आम्रपाली अरूणिका, अंबिका अरुणीमा पूषा श्रेष्ठ यह सभी रंगीन आम हैं तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी अच्छी मांग भी है.
इससे पहले किसान तक के आम महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे यूपी के कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) मनोज कुमार सिंह ने कहा, आम का उत्पादन बढ़ाने के लिए नए प्लांटेशन पिकअप करने का टारगेट रखा गया है. सरकार यह चाहती कि पेड़ लगाए जाएं, लेकिन फॉरेस्ट एरिया नहीं है. किसान अपनी मेड़ पर और को खेत में आम, अमरूद के पेड़ लगा सकते हैं. वहीं छोटे किसानों को बाग लगाने में दिक्कत है क्योंकि प्रोडक्शन देरी से मिलता है. ऐसे में किसानों को नए बगीचे लगाने में दिक्कत है. लेकिन सरकार उन्हें प्रोत्साहित कर रही है और नए रास्ते निकाल रही है.
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