मिठास और अनोखे स्वाद वाले रसीले आम खाना हर किसी को पसंद है. अलग-अलग वैरायटी के आम अपने अनाेखे स्वाद और आकार के लिए प्रसिद्ध है. इन्हीं में आम की एक वैरायटी ‘हापुस’ है. जिसके नाम पर बाजार में धांधली कर लोगों को अन्य वैरायटी के आम बेचकर फर्जीवाड़ा हो रहा है. इससे लोगों से तो ठगी हो ही रही है और उपभोक्ताओं का भरोसा टूटने से किसानों को भी नुकसान होता है. ऐसा ही कुछ मुंबई के बाजारों में हो रहा है, जहां लोगों को GI टैग हासिल कर चुके हापुस के नाम पर कर्नाटक में पाई जाने वाली एक प्रजाति का आम थमाया जा रहा है, क्यों ये दिखने में एक समान लगते हैं. यह 'नकली आम' हापुस उगाने वाले किसानों का दुश्मन बना हुआ है. हालांकि, थोड़ी सी जागरूकता से असली हापुस की पहचान की जा सकती है.
असली-नकली के मामले को लेकर मुंबई की एपीएमसी के संचालक और आम के थोक विक्रेता संजय पनसारे ने काम की जानकारी दी है. पनसारे ने कहा कि इस समय देवगढ़ महाराष्ट्र के हापुस और इसी की तरह दिखने वाला कर्नाटक का आम बाजार में बिक रहे हैं. दोनों दिखने में जुड़वा लगते हैं.
पनसारे ने कहा कि मुंबई की मंडी मौसम के मिजाज बदलने के बाद भी बड़े पैमाने पर 80 हजार से एक लाख से ज्यादा पेटियां बिक्री के लिए आ रही हैं. अमेरिका में एक्सपोर्ट ड्यूटी को लेकर विवाद चल रहा है. वहां के बाजार में हलचल के बाद भी बड़े पैमाने पर मुंबई से अमेरिका और अन्य देशों में आम की अच्छी मांग है.
इस साल मौसम ख़राब होने के बाद भी आम की फसल अच्छी रही है, जिससे आम उत्पादक किसान और व्यापारी खुश हैं, लेकिन इसके बावजूद रिटेल ग्राहकों को हापुस की जगह इसी की तरह दिखने वाला कर्नाटक आम दिया जा रहा है. पनसारे ने कहा कि कम कीमत में हापुस के नाम पर लोगों को कर्नाटक का आम थमाया जा रहा है. वहीं असली हापुस आम का भाव महंगा होता है.
उन्होंने कहा कि विदेश में बड़े पैमाने पर आम निर्यात किया जा रहा है. अब महाराष्ट्र के रत्नागिरी के साथ पुणे जुन्नर अलीबाग, पालघर के साथ उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात अन्य कई राज्यों से आम मुंबई में बिकने के लिए आता है. उन्होंने कहा कि अगर इस सीजन में हापुस आम खाना है तो यह केवल जून महीने तक ही उपलब्ध होगा.
एक बार बारिश शुरू होने पर तोतापुरी, लालबाग, मैना, केशर, लंगड़ा जैसे प्रजाति के आम आम बाजार में बिकेंगे. हापुस आम की कीमत की बात करें तो यह काफी महंगा है. दो दर्जन की एक पेटी की कीमत 1220 रुपये से लेकर 2 हजार रुपये तक है, जबिक चार दर्जन की पेटी तीन हजार रुपये तक बाजार में बिकती है. (नवी मुंबई से नीलेश पाटिल की रिपोर्ट)
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