फरवरी का महीना शुरू होते ही भिंडी बोने की तैयारी करनी चाहिए. फरवरी में सर्दी के तेवर ढीले पड़ने लगते हैं. साल का यह दूसरा महीना भिंडी की फसल की बुआई के लिए मुफीद होता है. अगर इसकी खेती का इरादा हो और भिंडी से लाखों का मुनाफा चाहते हैं तो आपको इसकी अगेती फसल करनी चाहिए. कई बार किसान फसल लगाने में लेट हो जाते हैं और मंडी में भी लेट पहुचती है, जिससे सही रेट नहीं मिलता है. इसलिए हमें हमेशा अगेती खेती ही करना चाहिए. तो इसकी बुआई निबटा लेनी चाहिए. भिड़ी के अंकुरण के लिए फरवरी का महीना बेहतर रहता है. गर्मियों में भिंडी की मांग ज्यादा रहती है. हालांकि, बुवाई के लिए सही किस्म की भिंडी का चयन जरूरी है.
बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को सब्जी विज्ञान बिभाग के प्रोफेसर डॉ. अजीत सिंह के मुताबिक भिंडी की बुवाई के लिए एक बार गहरी जुताई करने के बाद दो बार कल्टीवेटर से हल्की जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी कर लें. मिट्टी को भुरभुरा करने के बाद अगर आपने मिट्टी की जांच कराई है. जिन खाद उर्वरकों जिस चीज के जरूरी बताई गई है. उसी खाद या पोषक तत्वों का प्रयोग करें. अगर आप किसी वजह से अपने खेत की मिट्टी की जांच नहीं करवा पाए हैं तो इसमें 90 किलो यूरिया और 50 डीएपी और 30 किलो एमओपी की प्रति एकड़ के हिसाब से भिंडी की खेती में प्रयोग में लाना चाहिए. इसमें से आधा भाग यूरिया और पूरा भाग डीएपी और पूरा भाग एमओपी का खेत की जुताई के समय ही खेत में देना पड़ेगा तथा बाकी बची हुई यूरिया को खड़ी फसल में इस्तेमाल किया जाता है.
प्रोफेसर डॉ. अजीत सिंह के अनुसार भिंडी की फसल की बुवाई के लिए अच्छी किस्मों का चुनाव करना चाहिए. भारतीय संब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी से विकसित और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा दिल्ली की विकसित कई किस्में हैं. इसके आलावा कई बीज की प्राइवेट कंपनियां भी उन्नत और संकर भिंडी की बीज बेचती हैं. उसकी खरीदारी कर खेतों में लगा सकते हैं. वह बीज उन्नत किस्म का तथा उपचारित होने चाहिए. जायद भिंडी के बीजों को बोने से पहले 12-24 घंटे तक पानी में भिगोने से अंकुरण अच्छा होता है. बुआई से पहले भिंडी के बीज को 3 ग्राम थीरम या कार्बेन्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए. उन्नतशील बीज 6 किलों संकर किस्मों के लिए 2 किग्रा. प्रति एकड़ बीज दर पर्याप्त होता है.
सब्जी विज्ञान के विशेषज्ञ के मुताबिक भिंडी की बुवाई करते समय ध्यान रखना चाहिए कि इसकी बुवाई सीधी लाइन में ही करनी चाहिए. आजकल एक और ट्रेंड चल रहा है की उठी हुई क्यारियों में इसकी बुवाई की जाती है. इसमें कम से कम 15 से 20 सेंटीमीटर ऊंची बेड बनाकर इसकी बुवाई करनी चाहिए. इसके कई फायदे होते हैं जैसे पोषक तत्वों की उचित मात्रा पौधों को मिलती रहती है. जायद और गर्मी वाली भिंडी की बुवाई के लिए लाइन से लाइन की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर रखनी चाहिए तथा पौधे से पौधे की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखी जानी चाहिए. डॉ अजीत सिंह ने बताया कि बुवाई के बाद बारी आती है. सिंचाई व्यवस्था की अगर खेत में नमी ना हो तो बुवाई के पहले एक सिंचाई करनी चाहिए. इसके बाद 8 से 10 दिन के बाद सिंचाई की जरूरत होती है. सिचाई के लिए फव्वारे या ड्रिप का प्रयोग करें जिससे पानी की भी बचत होगी और पौधों को पर्याप्त मात्रा में सिंचाई मिलती है. ड्रिप का प्रयोग करने से लगभग 80 फीसदी पानी की बचत होती है और घुलनशील पोषक तत्वों भी ड्रिप के जरिए दिए जा सकते हैं.
सब्जी विज्ञान के विशेषज्ञ के मुताबिक जब हमारी फसल बढ़ रही होती है तो विशेष रूप से कीड़े और पतंगों का प्रकोप होता है अगर हमने सहनशील वैरायटी प्रयोग में ली है जिसमें बीमारियों का प्रकोप कम होता है तो ज्यादा उपचार की जरूरत नहीं पड़ती है. बीमारियों को फैलाने वाली सफेद मक्खी को काबू करने के लिए किसी भी एक कीटनाशक का प्रयोग जरूरी हो जाता है. किसानों को चाहिए कि जो हमेशी कोशिश करे नीम पर आधारित कीटनाशी प्रयोग ज्यादा करना चाहिए. इससे भिंडी का प्रयोग करने वाले उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य का नुकसान ना हो. इसमें आप 3 से 5 मिलीलीटर दवा प्रति लीटर के साथ घोल बनाकर उसका छिड़काव करें छिड़काव के वक्त विशेष ध्यान रखना चाहिए. छिड़काव हमेशा शाम के वक्त करें .
भिंडी की फसल 45 दिन में तोड़ने के लिए तैयार होने लग जाती है. जब भिंडी का साइज 4 से 5 इंच का बनने लग जाए औऱ उनका रंग बिल्कुल हरा हो तो तुड़ाई करनी चाहिए. तुड़ाई करने के बाद भिंडी को अलग-अलग केटेगरी बनाकर बाजार में बेचना चाहिए, जिससे दाम भी उचित मिल सकें. अधिकांश सब्जी किसान कम लागत में इस समय भिंडी की फसल उगाकर लाखों रुपये कमाते हैं. इन बातों को ध्यान रख आप भी इसकी खेती कर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today