अच्छी पैदावार के बावजूद जीरे की कीमतों में उछाल की उम्मीद में कारोबारी और किसान स्टॉक को रोक सकते हैं. कारोबार त्योहारी सीजन में हाईएस्ट कीमत पहुंचने के इंतजार में हैं. पिछले साल त्योहारी सीजन में अक्तूबर के आसपास जीरा की कीमत 60 हजार रुपये प्रति क्विंटल पहुंच गई थी. वर्तमान में जीरा की मॉडल कीमत 24 हजार रुपये प्रति क्विंटल चल रही है. वर्तमान में कम कीमत और करीब 3 महीने बाद दोगुनी से अधिक कीमत पाना चाहते हैं. इसी उम्मीद में स्टॉक रोकने की आशंका जताई जा रही है. बता दें कि भारत में जीरे के उत्पादन में गुजरात और राजस्थान का योगदान करीब 99 फीसदी है. चालू सीजन में जीरा का उत्पादन 4.08 लाख टन होने का अनुमान है.
रिपोर्ट के अनुसार गुजरात के ऊंझा में सबसे बड़ी जीरा मंडी कृषि उपज मंडी समिति के पताधिकारियों ने कहा कि पिछले सीजन फरवरी-मई जीरा का सबसे अधिक रकबा दर्ज किया गया था. इसके चलते जीरा की बंपर उपज हुई और आपूर्ति में बढ़ोत्तरी के कारण कीमतें बीते अप्रैल के मध्य में लगभग 20,000-22,000 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गई थीं. वहीं, पिछले साल त्योहारी सीजन के दौरान जीरा की कीमत 60,000 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज की गई थी. हालांकि, जीरा की कीमतें फिर से बढ़ रही हैं और 30,000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास रेट चल रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार किसानों और कारोबारी जीरा को कम कीमतों पर बेचना नहीं चाहते हैं, क्योंकि कीमतें एक या दो महीने तक इसी स्तर पर स्थिर रहने की उम्मीद है. जबकि, त्योहारी सीजन शुरू होने पर अक्टूबर के आसपास यह पिछले साल के स्तर को छू सकती हैं. अधिक कीमत पाने के लिए कारोबारियों और किसानों के बीच जीरा की फसल बाजार में लाने की बजाय रोकने की आशंका बढ़ गई है.
फेडरेशन ऑफ इंडियन स्पाइस स्टेक होल्डर्स के अनुसार जून के बाद जीरे का व्यापार धीमा पड़ जाता है. मानसून की शुरुआत के साथ ही किसान फसल की बुवाई में व्यस्त हो जाते हैं. सितंबर के आसपास त्योहारी सीजन के आने पर व्यापार में तेजी आती है. सीरिया, तुर्की, ईरान और चीन जैसे बाजारों से आने वाले जीरे से तत्काल मांग को पूरा किया जा सकता है. इन सभी का संयुक्त उत्पादन करीब 1 लाख टन है, जो अगले दो या तीन महीनों की मांग को पूरा कर सकता है.
भारत में जीरे के उत्पादन में गुजरात और राजस्थान का योगदान करीब 99 फीसदी है. चालू सीजन में जीरा का उत्पादन 4.08 लाख टन होने का अनुमान है. रिपोर्ट के अनुसार पिछले 6 वर्षों में भारत में जीरे का उत्पादन 5.5 से 9 लाख मीट्रिक टन के बीच रहा है. इसी तरह कीमतों में 125 रुपये प्रति किलोग्राम से लेकर 600 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच उतार-चढ़ाव रहा है. गेहूं या प्याज की तरह जारी को सरकार नियंत्रित नहीं करती है, ऐसे में व्यापारियों और सट्टेबाजों के लिए दांव लगाना आसान है. पुराने प्लेयर्स स्टॉक को रोक सकते हैं.
मार्च और मई के बीच जीरे की कटाई की जाती है. इस अवधि में कीमतें कम होती हैं, लेकिन दीवाली तक धीरे-धीरे दाम में उछाल आता है. पिछले साल कीमतें गिरने से पहले सितंबर-अक्टूबर के आसपास चरम पर थीं. इस साल भी इसी तरह की के ट्रेंड की उम्मीद है. कीमतें फिर से पिछले साल के उच्च स्तर पर पहुंच सकती हैं.
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