फरवरी-मार्च में करें शरीर को ठंडक पहुंचाने वाली इन सब्जियों की खेती, सीजन आते ही मिलेगा तगड़ा भाव

फरवरी-मार्च में करें शरीर को ठंडक पहुंचाने वाली इन सब्जियों की खेती, सीजन आते ही मिलेगा तगड़ा भाव

फरवरी महीने के साथ ही जायद फसलों की बुवाई का समय शुरू हो गया है, जो मार्च के अंत तक चलेगा. ऐसे में जानिए कौन-सी ऐसी सब्जियां हैं, जिनकी बुआई कर लोग तो स्‍वस्‍थ्‍य रहेंगे ही साथ में किसान भी बढ़‍िया कमाई हासिल कर सकते हैं.

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फरवरी-मार्च में करें शरीर को ठंडक पहुंचाने वाली इन सब्जियों की खेती, सीजन आते ही मिलेगा तगड़ा भावसब्जियों की खेती. (सांकेतिक तस्‍वीर)

भारत में बड़े पैमाने पर सब्जियों की खेती होती है और इनकी खपत भी भारी मात्रा में होती है. गर्मियों के समय में कई देसी-विदेशी हरी सब्जियों की मांग बढ़ जाती है. वहीं, अब फरवरी महीने के साथ ही जायद फसलों की बुवाई का समय शुरू हो गया है, जो मार्च के अंत तक चलेगा. गर्मी के मौसम में ज्‍यादातर ऐसी सब्जियां खाई जाती हैं, जि‍नमें पानी की मात्रा भरपूर होती है और शरीर को ठंडक पहुंचाती हैं. ये सब्जियां स्‍वास्‍थ्‍य के लिहाज से भी बहुत लाभकारी होती हैं और गर्मी में किसानों को इनकी कीमतें भी अच्‍छी मिलती हैं. ऐसे में जानिए कौन-सी ऐसी सब्जियां हैं, जिनसे लोगों को अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य मिलेगा तो वहीं किसान इससे बढ़‍िया कमाई कर सकते हैं

खीरा की खेती

गर्मियों के दिन में खीरा की खपत बढ़ जाती है, क्‍याेंकि इसे खाने से शरीर में पानी की मात्रा बनी रहती है और पेट को ठंडक मिलती है. लोग इसका सलाद, सब्जी आदि के रूप में सेवन करते हैं. किसानों को खेत में क्‍यारी बनाकर बीज बाेने की सलाह दी जाती है. इसमें लाइन से लाइन  डेढ़ मीटर की दूरी और पौधे से पौधे के बीच 1 मीटर की दूरी बनाकर रखें. बुवाई करने के 20 से 25 दिन बाद निराई-गुड़ाई का समय आता है. तापमान बढ़ने पर हर हफ्ते हल्‍की स‍िंचाई करते रहना चाहिए और खेत में साफ-सफाई का ध्यान रखते हुए खरपतवार को नियंत्रित करें.

लौकी की खेती

आमतौर पर लोग स्‍वाद के कारण लौकी को खाना पसंद नहीं करते, लेकिन बता दें कि यह एक बहुत ही गुणकारी सब्जी है, जो सेहत के लिए एक वरदान की तरह है. गर्मी के मौसम में यह डाइजेशन के लिए बहुत बढ़‍िया मानी जाती है, क्‍योंकि इन दिनों ज्‍यादा तेल वाली मसालेदार सब्‍जी खाने पर स्‍वास्‍थ्‍य बिगड़ने की संभावना रहती है. वैसे तो लौकी की खेती किसी भी मिट्टी में संभव है, लेकिन दोमट मिट्टी बेस्‍ट मानी जाती है. इसकी बुवाई के लिए प्रति हेक्‍टेयर साढ़े चार किलो बीज लगते हैं.

बिजाई से पहले लौकी के बीज को 24 घंटे पानी में भ‍िगाेए रखने के बाद 24 घंटे टाट में बांधकर रखना चाहिए, इससे ये जल्‍दी अंकुरित होती है. इनकी बुवाई के लिए ढाई से साढ़े तीन मीटर की दूरी पर 50 सेंटमीटर चौड़ी और 20 से 25 सेंटीमीटर गहरी नालियां बनाएं और इनके किनारे पर 60 से 75 सेंटीमीटर की दूरी पर बीज बोएं. एक जगह पर 2-3 बीज बो सकते हैं, बीज को 4 सेंटीमीटर तक गहराई में बोएं, इससे ज्‍यादा गहराई पर न बोएं.

पालक की खेती

गर्मी में लोग पालक की सब्‍जी खाना पसंद करते हैं, आयरन से भरपूर इस सब्‍जी की डिमांड भी खूब रहती है. पालक की खेती के लिए बलुई दोमट या मटियार मिट्टी बेस्‍ट मानी जाती है. लेकिन, अगर मिट्टी एसिडि‍क (अम्‍लीय) है तो इसमें खेती न करें, क्‍योंकि पालक इसमें नहीं उग पाती. प्रति हेक्‍टेयर बुवाई के लिए 25 से 30 किलोग्राम बीज लगते हैं. बीज बोते समय 2-3 सेंटीमीटर की गहराई पर बुवाई करें, इससे ज्‍यादा गहराई में न बोएं.

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