उत्तर प्रदेश की योगी सरकार तिलहन और दलहन की खेती को लगातार प्रोत्साहन भी दे रही है. मुख्यमंत्री चाहते हैं कि इन दोनों के उत्पादन में उत्तर प्रदेश सरकार आत्मनिर्भर बने. इसके लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.किसानों को ट्रेनिंग के साथ अनुदान पर कृषि यंत्र देने के साथ उन्नत प्रजाति के रोगों और कीटों के प्रति प्रतिरोधी अधिक एपीजे वाली उन्नत प्रजातियों के बीज भी अनुदान पर मुहैया कराए जा रहे हैं. इसके नतीजे भी आने लगे हैं. खरीफ के मौजूदा सीजन के आंकड़े इसके सबूत हैं. उप्र कृषि विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक खरीफ के मौजूदा सीजन में 21 जुलाई तक तिलहन की सभी प्रमुख फसलों तिल, मूंगफली और सोयाबीन के बोआई का रकबा पिछले सीजन की तुलना में करीब सवा गुना तक बढ़ा है.
प्रदेश के कृषि निदेशक डॉ. पंकज कुमार त्रिपाठी ने बताया कि साल 2024 में इन फसलों की बोआई का कुल रकबा 432.250 हजार हेक्टेयर था, जो साल 2025 में बढ़कर 547.144 हजार हेक्टेयर हो गया. इसमें तिल के रकबे में तो डेढ़ गुने से अधिक की वृद्धि हुई है. उन्होंने बताया कि पिछले साल तिल का रकबा 180.26 हजार हेक्टेयर था जो मौजूदा साल में बढ़कर 303 हजार हेक्टेयर हो गया. साल भर में रकबे की यह बढ़त खुद में अभूतपूर्व है.
कृषि निदेशक ने बताया कि इस सीजन की तिलहन की अन्य दो फसलों मूंगफली एवं सोयाबीन के बोआई के रकबे में भी वृद्धि हुई है. इसी समयावधि में सोयाबीन का रकबा 34.12 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 40 हजार हेक्टेयर हो गया. मूंगफली का रकबा भी 204 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 218 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया.
त्रिपाठी बताते हैं कि जहां तक दलहनी फसलों की बात है तो खरीफ के सीजन की प्रमुख फसल अरहर है. यही सबसे पसंदीदा दाल भी. अभी इसके बोआई का समय भी है. कुछ किस्मों की बोआई सितंबर तक की जाती है. लिहाजा इसका रकबा अभी और बढ़ सकता है. अब तक के आंकड़ों के मुताबिक तुलना की अवधि में अरहर की बोआई का रकबा 184 हजार हेक्टेयर से 273 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है. वहीं मूंग भी 30 से बढ़कर 32 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गई है. उर्द में पीछे है.
डॉ. पंकज कुमार त्रिपाठी ने बताया कि खरीफ की बाकी मुख्य फसलों धान एवं मक्के की बोआई का रकबा भी बढ़ा है. धान का रकबा 4193 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 5546 और मक्के का रकबा 636 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 701 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है. उन्होंने बताया कि कपास के प्रति भी उत्तर प्रदेश के किसानों की रुचि बढ़ी है. इसका रकबा सात हजार हेक्टेयर से 18 हजार तक पहुंच गया है. अगर खरीफ की फसलों के कुल रकबे की बात करें तो पिछले साल करीब 6574 हजार हेक्टेयर था जो मौजूदा सीजन में बढ़कर 8262 हजार हेक्टेयर हो गया है.
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