किसानों की फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर खरीद के लिए राज्य सरकारों ने 1 अक्तूबर से शुरूआत कर दी है. एमएसपी पर फसल बिक्री के लिए किसानों को पंजीकरण करना जरूरी है. कई राज्यों में यह पंजीकरण तारीख निकल चुकी है और फसल बिक्री करने वाले किसानों ने इस काम को समय रहते कर भी लिया है. लेकिन, मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में किसान पंजीकरण कराने से पीछे रह गए हैं. ऐसे में राज्य सरकार ने किसानों को अपनी उपज बिक्री के लिए पंजीकरण की तारीख को 10 दिन और आगे बढ़ा दिया है. इससे किसानों को बड़ी राहत मिली है.
मध्य प्रदेश सरकार ने खरीफ मार्केटिंग साल 𝟐𝟎𝟐𝟒-𝟐𝟓 में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर धान, ज्वार और बाजरा की खरीद के लिए किसानों को पंजीकरण की समयसीमा 19 सितंबर से 4 अक्टूबर तय की थी. लेकिन, अलग-अलग वजहों से किसान तय तिथि तक पंजीकरण नहीं करा सके. किसानों को राहत देने के लिए राज्य सरकार ने पंजीकरण की तारीख को 10 दिन आगे बढ़ा दिया है. अब किसान 𝟏𝟒 अक्टूबर तक फसल बिक्री के लिए पंजीकरण करा सकते हैं.
मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों की फसलें खरीदने के लिए राज्यभर में 1400 से ज्यादा खरीद केंद्र बनाए हैं. राज्य सरकार ने कृषि विभाग से संबंधित और फसल खरीद प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों को उपज खरीद के निर्देश दिए हैं. 1 अक्टूबर 2024 से उपज की सरकारी खरीद शुरू भी कर दी गई है. राज्य सरकार के अनुसार किसानों की उपज खरीद का दाम 48 घंटे के अंदर उनके बैंक खातों में ट्रांसफर किया जा रहा है.
किसान अपनी उपज बिक्री के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. राज्य सरकार के अनुसार ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, सहकारी समिति, एमपी किसान एप पर मुफ्त में रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. इसके अलावा MP ऑनलाइन कियोस्क, कम्यूनिटी सर्विस सेंटर, साइबर कैफे के जरिए 50 रुपये फीस देकर भी रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है.
राज्य सरकार के अनुसार सिकमी, बटाईदार, कोटवार और वन पट्टाधारी किसानों के लिए रजिस्ट्रेशन केवल सहकारी समिति और मार्केटिंग सहकारी संस्था के केन्द्रों पर ही होगा. रजिस्ट्रेशन के लिए किसानों को भूमि संबंधी दस्तावेज, आधार कार्ड और फोटो पहचान पत्र के साथ ही बैंक पासबुक या बैंक अकाउंट डिटेल्स भी देनी होंगी.
किसानों से ज्वार, बाजरा और धान खरीद के लिए केंद्र सरकार ने 2024-25 में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी तय किया है. ताकि किसानों को उनकी लागत का सही दाम मिल सके और एमएसपी पर ही फसलों की जा रही है.
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