भारत में फसलों में धान का एक महत्वपूर्ण स्थान है. देश की करीब एक-चौथाई खेती योग्य भूमि में धान उगाया जाता है. वहीं, एक बड़ी आबादी मुख्य भोजन के रूप में चावल का उपयोग करती है. इसके चलते देश में चावल की अच्छी खपत होने के साथ मांग बनी रहती है. जलवायु परिवर्तन के चलते खेती में नई तकनीकों का इस्तेमाल बढ़ रहा है और नई किस्मों को विकसित किया जा रहा है. इसी क्रम में जानिए धान की एक उन्नत किस्म के बारे में जो पैदावार और जल्दी पककर तैयार होने के लिहाज से बेहतर है. हम यहां बात कर रहे हैं धान की किस्म सीआर-807 की.
धान की सीआर- 807 किस्म सीधी बुआई के लिए एक बेहतर अगेती फसल है. यह बारिश से सिंचित भूमि के लिहाज से उपयुक्त होने के साथ शाकनाशी प्रतिरोधी (हर्बीसाइड टोलरेंट) भी है. इस किस्म की फसल 105 से 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इसमें प्रति हेक्टेयर 44.02 क्विंटल धान की पैदावार प्राप्त हो सकती है, जबकि सूखे की स्थिति में 2.8 टन/हेक्टेयर पैदावार प्राप्त हो सकती है.
यह किस्म तना छेदक के प्रति सहनशील है. वहीं, यह भूरे धब्बे और फफूंद के कारण होने वाले ब्लास्ट रोग के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधक क्षमता रखती है. इस किस्म को ओडिशा के कटक में स्थित आईसीएआर- नेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने विकसित किया है, जिसे सेंट्रल वैरायटी रिलीज कमेटी (CVRC) ने 2023 में जारी किया था. इसे झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और गुजरात में इसकी खेती करने की सलाह दी जाती है.
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यह किस्म खरीफ और रबी दोनों सीजन के हिसाब से ज्यादा और कम उर्वरता वाली भूमि में भी खेती के लिए उपयुक्त पाई गई है. अर्ध-बौनी किस्म का यह पौधा सीधा बढ़ता है. इसे ज्यादा बारिश या तूफान में भी नुकसान नहीं होता है. इसकी बाली 23.2 सेंटी मीटर तक लंबी होती है.
CR धान 807 गैर-बासमती चावल की देश में रिलीज की गई पहली गैर-जीएमओ शाकनाशी सहनशील वैरायटी है. इस वैरायटी की धान की खेती में लागत और ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को बहुत कम किया जा सकता है.
मालूम हो कि इसी महीने 11 तारीख को पीएम नरेंद्र मोदी ने फसलों की 109 वैरायटी जारी की थी. इसमें धान की भी आठ नई किस्मों को जारी किया गया है, जो पोषण, जलवायु के अनुकूल हैं और उपज के मामले में भी बेहतर हैं. यह किस्म भी उसी में एक है.
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