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Cotton Price: कॉटन की कीमत 7000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल के पार, जान‍िए क्या है वजह 

Cotton Price: कॉटन की कीमत 7000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल के पार, जान‍िए क्या है वजह 

वर्तमान में, बारिश से भीगी हुई कपास की कीमत 6,800 से 7,000 रुपये प्रति क्विंटल और अच्छी गुणवत्ता वाली कपास की कीमत 7,000 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल है. भारत से बढ़ सकता है न‍िर्यात और न‍िर्यात बढ़ने से क‍िसानों को होगा फायदा. 

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कॉटन की कीमतों में हुई बढ़ोतरी कॉटन की कीमतों में हुई बढ़ोतरी

भारत के घरेलू बाजार में कपास की कीमतें स्थिर हैं, लेकिन वैश्विक कपास बाजार में कपास की कीमतों में मामूली वृद्धि हुई है. इसलिए तीन महीने से दबाव में चल रही कपास की कीमत धीरे-धीरे अब बढ़ने लगी हैं. क‍िसानों को उम्मीद है क‍ि उन्हें इस साल एमएसपी से ज्यादा दाम म‍िलेगा. फिलहाल कपास की कीमत 7000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर गई हैं और संभावना है कि यह स्तर 8000 रुपये के आसपास जाएगा. इस मूल्य वृद्धि का लाभ उठाने के लिए किसानों को रुक-रुक कर कपास बेचने की जरूरत है. महाराष्ट्र में लंबे समय से अच्छे दाम का इंतजार कर रहे क‍िसानों को अब कपास के बढ़ते दाम से थोड़ी राहत म‍िली है.

वैश्विक बाजार में कपास की कीमतें पिछले एक पखवाड़े से बढ़ने लगी हैं. रुई की कीमतें औसतन 57,000 रुपये प्रति क्विंटल से धीरे-धीरे 63,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं. इससे घरेलू बाजार में कपास की कीमत में बढ़ोतरी हुई है. वर्तमान में, बारिश से भीगी हुई कपास की कीमत 6,800 से 7,000 रुपये प्रति क्विंटल और अच्छी गुणवत्ता वाली कपास की कीमत 7,000 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल है.

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निर्यात से किसानों को होगा लाभ 

विश्व बाजार और अन्य देशों की तुलना में भारत में कपास की कीमत कम है. इसलिए, यदि भारतीय कपड़ा उद्योग कपास या धागे का आयात करने के बारे में सोचता है तो यह उनके लिए महंगा हो जाएगा. दूसरी ओर, चूंकि दुनिया में कपास का उत्पादन कम है और मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है, इसलिए भारत के पास कपास निर्यात करने का अवसर है. अगर भारत इस मौके को चुनता है तो कपास की कीमतें 8,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर सकती हैं. इससे किसानों को आर्थिक लाभ हो सकता है.

कॉटन की मांग में वृद्धि

इस समय कपास बिक्री का मौसम अपने अंतिम चरण में है. घरेलू कपड़ा उद्योग के लिए कपास की मांग बढ़ रही है. मार्च से ये मांग और बढ़ने वाली है. भारतीय कपड़ा उद्योग को घरेलू बाजार से कपास और धागा खरीदना होगा, क्योंकि आयातित कपास महंगा हो जाएगा. जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, कपास की कीमतों को नियंत्रण में लाने के लिए 'टेक्सटाइल लॉबी' द्वारा किए जा रहे प्रयासों को ज्यादा सफलता मिलने की संभावना नहीं है.

क‍िस मंडी में क‍ितना है दाम  

  • अकोला मंडी में 144 क्व‍िंटल कपास की आवक हुई थी. इसके बाद भी यहां कपास का न्यूनतम दाम 7000, अध‍िकतम दाम 7339 और औसत दाम 7169 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक पहुंच गया. 
  • देउलगाव मंडी  में 2800 क्व‍िंटल कपास  की आवक दर्ज की गई. इस मंडी में न्यूनतम दाम 6600, अध‍िकतम 7500 और औसत दाम 7200 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. 
  • सिंदी मंडी में 2950 क्व‍िंटल कपास की आवक हुई. यहां पर न्यूनतम दाम 6700, अध‍िकतम 7300 और औसत 7050 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. 
  • चिमूर मंडी में 1394 क्व‍िंटल कपास की आवक हुई. यहां पर न्यूनतम दाम 7000, अध‍िकतम 7051 और औसत दाम 701 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा

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