हिमालय क्षेत्र में पाया जाने वाला लाल फूल बुरांश न केवल अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी बेहद महत्वपूर्ण है. यह फूल विशेष रूप से अपने एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. पारंपरिक रूप से बुरांश का उपयोग जूस, सिरप, जैम और हर्बल चाय बनाने के लिए किया जाता है. हाल के वर्षों में इसके उत्पादन और मांग में जबरदस्त बढ़त देखी गई है.
मंडी, कुल्लू और आस-पास के ग्रामीण इलाकों में बुरांश के फूलों की मांग तेजी से बढ़ी है. इसके कारण, स्थानीय लोग इन फूलों को जंगल से इकट्ठा करके बाजारों में बेचने लगे हैं. मंडी के सेरी मंच जैसे बाजारों में बुरांश के फूल बिकते हैं. यह ग्रामीणों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण जरिया बन चुका है.
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बुरांश फूल की बढ़ती मांग ने स्थानीय लोगों की कमाई बढ़ा दी है. लेकिन इसकी कटाई ने पर्यावरण और प्राकृतिक आवासों के लिए चिंताएं बढ़ा दी हैं. वल्लभ राजकीय महाविद्यालय मंडी के वनस्पति विज्ञान विभाग की प्रमुख डॉ. तारा देवी सेन ने लोगों को चेतावनी देते हुए कहा है कि बुरांश की अधिक और अनियमित कटाई की वजह से इस प्रजाति का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है.
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बुरांश का फूल न केवल हिमालयी क्षेत्रों का खजाना है, बल्कि यह स्थानीय समुदायों के लिए एक आय का स्रोत भी बन चुका है. अगर इसे सही तरीके से रखा जाए और कटाई के जिम्मेदार तरीके अपनाए जाएं, तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए अपनी खूबसूरती और औषधीय लाभों को बनाए रखेगा. बुरांश का संरक्षण केवल प्रकृति के लिए जरूरी नहीं, बल्कि यह स्थानीय समुदायों की समृद्धि के लिए भी आवश्यक है.
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