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ग्रीष्मकालीन धान के रकबे में बंपर बढ़ोतरी, जानें किस राज्य में हुई सबसे अधिक बुवाई

ग्रीष्मकालीन धान के रकबे में बंपर बढ़ोतरी, जानें किस राज्य में हुई सबसे अधिक बुवाई

कृषि मंत्रालय द्वारा ऑनलाइन उपलब्ध साप्ताहिक अपडेट के अनुसार, फसलों की बुआई (मोटे अनाज को छोड़कर), जो मई तक समाप्त हो जाएगी. वो शुक्रवार तक 46.88 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है, जो कि 8 प्रतिशत अधिक है.

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ग्रीष्मकालीन धान ग्रीष्मकालीन धान

ग्रीष्मकालीन धान के रकबे में इस बार बंपर बढ़ोतरी हुई है. कहा जा रहा है कि पिछले सप्ताह तक ग्रीष्मकालीन धान की बुवाई 10 प्रतिशत दर्ज की गई थी, जो इस शुक्रवार तक बढ़कर 29.44 लाख हेक्टेयर हो गई. खास बात यह है कि एक साल पहले समान अवधि में इसका रकबा 26.49 लाख हेक्टेयर था. वहीं, कई राज्यों में सिंचाई का काफी अभाव है. जलाशयों में पानी का लेवल नीचे चला गया है. इसके बावजूद भी किसान धान की बुवाई कर रहे हैं.

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, 29 मार्च तक देश में ग्रीष्मकालीन धान का रकबा 7.87 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 10.22 लाख हेक्टेयर हो गया है. खास बात यह है कि तमिलनाडु में ग्रीष्मकालीन धान की बुआई 1.04 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 1.64 लाख हेक्टेयर और तेलंगाना में 12 लाख हेक्टेयर हो गई है.  

दलहन का रकबा भी बढ़ा 

कृषि मंत्रालय द्वारा ऑनलाइन उपलब्ध साप्ताहिक अपडेट के अनुसार, फसलों की बुआई (मोटे अनाज को छोड़कर), जो मई तक समाप्त हो जाएगी. वो शुक्रवार तक 46.88 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है, जो कि 8 प्रतिशत अधिक है. एक साल पहले की अवधि में 43.45 लाख हेक्टेयर की सूचना दी गई थी क्योंकि जायद सीजन अच्छी तरह से आगे बढ़ रहा है. बता दें कि जायद की फसल खरीफ की बुआई से पहले और रबी की फसल के बाद उगाई जाती है.

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ग्रीष्मकालीन दलहन क्षेत्र 8.7 लाख हेक्टेयर से 3 प्रतिशत बढ़कर 8.97 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है क्योंकि इस वर्ष उड़द और मूंग का अधिक कवरेज दर्ज किया गया है, जिसमें मूंग की फसल की बुआई 6.52 प्रतिशत बढ़ी है. एक साल पहले 6.33 लाख हेक्टेयर के मुकाबले उड़द 2.11 लाख हेक्टेयर से 2.23 लाख हेक्टेयर है. वहीं ग्रीष्मकालीन दालों के प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, बिहार, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और गुजरात है. 

तिलहन का रकबा फिर बढ़ा

तिलहन फसलों में भी 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इस सप्ताह पोर्टल पर सूरजमुखी के रकबे का डेटा अपडेट नहीं किया गया है. यह 29,000 हेक्टेयर पर ही रह गया, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 28,000 हेक्टेयर था. इस बीच 1 मार्च से प्री-मॉनसून सीजन में बारिश सामान्य से 10 प्रतिशत कम हुई है. इस कम बारिश को 5 अप्रैल तक अखिल भारतीय आधार पर सामान्य माना जाता है. जबकि उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में 12 प्रतिशत की कमी है. 

मध्य भारत में 1 मार्च से 5 अप्रैल के बीच लंबी अवधि के की तुलना में 76 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है. भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी IMD के आंकड़ों से पता चलता है कि दक्षिण प्रायद्वीप क्षेत्र में सामान्य से 80 फीसदी कम बारिश हुई है और पूर्वी और उत्तरी-पूर्वी भारत में औसत से 8 फीसदी कम बारिश हुई है.