कई राज्यों में अभी धान की रोपाई चल रही है. कई जगह इसकी बुवाई भी हो रही है. यानी धान की नर्सरी लगाने के बजाय सीधा खेत में धान के बीज छिड़के जा रहे हैं. इसमें अलग-अलग धान की किस्में हैं. इसी में एक किस्म है बोरो धान. यह धान की उपज देने में माहिर किस्म है. इसकी खेती पूर्वोत्तर के राज्यों के अलावा बिहार और बंगाल में भी होती है. बोरो धान की एक खास बात ये भी है कि इसे सीधी बिजाई से बो सकते हैं और कम पानी, कम मजदूरी में अधिक पैदावार ले सकते हैं.
ऐसे में आइए जानते हैं कि बोरो धान को सीधी बिजाई से कैसे बोएं ताकि कम खर्च और कम लागत में अधिक पैदावार ली जा सके. सीधी बिजाई ऐसी तकनीक है जिसमें धान का बीज किसी नर्सरी में नहीं लगाते. न ही उस नर्सरी को उखाड़कर किसी दूसरे खेत में रोपते हैं. सीधी बिजाई में धान के खेत में बीज का छिड़काव करते हैं जिससे पानी की बचत के साथ मजदूरी की भी बचत होती है.
बोरो धान की जहां तक बात है तो इसकी बुवाई मख्य तौर पर नवंबर-दिसंबर में की जाती है. लेकिन जहां देरी हो, वहां जनवरी में भी इसे बोया जाता है. इस धान की बुवाई तब करते हैं जब मिट्टी और हवा में थौड़ी गर्मी हो. हालांकि अभी के मौसम के लिहाज से इसकी सीधी बुवाई नहीं कर सकते क्योंकि अब ठंड बढ़ चुकी है. समय पर इसकी सीधी बुवाई करें तो सिंचाई की कम जरूरत होती है.
बोरो धान पर टुंग्रो रोग का खतरा अधिक रहता है. इस खतरनाक रोग से बचाव के लिए खेत की परत पर कार्बोफ्यूरान या फोरेट का प्रयोग करें. इसके छिड़काव से टुंग्रों रोग से छुटकारा मिलता है.
सीधी बिजाई ऐसी तकनीक है जिसमें पानी की बचत के साथ ही मजदूरी का खर्च भी बचता है. इसलिए सरकार इस तकनीक को बढ़ावा दे रही है. गिरते भूजल स्तर को देखते हुए सरकार सीधी बिजाई को प्रोत्साहित कर रही है क्योंकि इस विधि से कम पानी में धान उतना ही उपज देता है जितनी उपज नर्सरी से धान की रोपाई की जाती है.
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