Paddy Nursery: अभी तक नहीं डाला है धान का बिचड़ा, तो इस विधि से लगाएं नर्सरी

Paddy Nursery: अभी तक नहीं डाला है धान का बिचड़ा, तो इस विधि से लगाएं नर्सरी

बिहार मॉनसून की अच्छी बारिश के इंतजार में है. अभी तक जिन किसानों ने धान की नर्सरी नहीं डाली है, वे किसान मैट विधि से नर्सरी डाल सकते हैं. इसके अलावा वे सीधी बुवाई से कम खर्च में अधिक धान का उत्पादन ले सकते हैं. 

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Paddy Nursery: अभी तक नहीं डाला है धान का बिचड़ा, तो इस विधि से लगाएं नर्सरीअभी तक नहीं डाला है धान का बिचड़ा, तो इस विधि से लगाएं नर्सरी

जून का अंतिम सप्ताह चल रहा है. लेकिन राज्य में बारिश की रफ्तार नगण्य है. हालांकि राज्य के कुछ इलाकों में अच्छी बारिश देखने को मिली है. इस साल मॉनसून की अच्छी बारिश दो से तीन जिलों को छोड़ कर अन्य जिलों अभी भी नहीं हुई है. किसान अच्छी बारिश के इंतज़ार में आसमान की ओर नज़रें गड़ाए हुए हैं. साथ ही मौसम विभाग की खबरों की ओर कान लगाए हुए हैं. वहीं कुछ किसान मॉनसून की बारिश के इंतज़ार में अभी तक धान की नर्सरी नहीं लगा पाए हैं. ऐसे किसानों को धान का बिचड़ा डालने में करीब दस दिन से अधिक की देरी हो चुकी है.

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि जो किसान अभी भी धान का बिचड़ा नहीं डाल पाएं हैं, उन किसानों को घबराने की ज़रूरत नहीं है. किसान अभी भी धान की नर्सरी लगा सकते हैं. बशर्तें उन्हें बिचड़ा लगाने के लिए तकनीक का उपयोग करना पड़ेगा. वहीं नर्सरी नहीं लगाना चाहते हैं तो वे सीधी बुवाई के जरिये धान की खेती कर सकते हैं.

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मैट विधि से किसान लगाएं धान की नर्सरी

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ राकेश कुमार कहते हैं कि जो किसान अभी तक धान की नर्सरी नहीं लगा पाए हैं, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. वे मैट विधि से धान की नर्सरी लगा सकते हैं. इस विधि से किसान करीब दो सप्ताह में धान की नर्सरी तैयार कर सकते हैं. किसान को एक एकड़ में दो से तीन किलो ही बीज की जरूरत होती है. साथ ही एकड़ धान की खेती के लिए 100 से 140 वर्गमीटर जमीन में नर्सरी डालने की जरूरत होती है. इस विधि से किसान 15 जुलाई तक नर्सरी लगा सकते हैं. वहीं अगर किसान नर्सरी नहीं डालना चाहते हैं तो वे सीधी बुवाई के जरिये धान की खेती कर सकते हैं. इन तमाम विधियों में किसान कम अवधि वाले धान का चयन करें. 

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मॉनसून की अच्छी बारिश का इंतजार

इस बार मॉनसून की बारिश होने में करीब एक सप्ताह की देरी हुई है. वही राज्य में मॉनसून की रफ़्तार काफ़ी धीमी है, जिसके चलते कई हिस्सों में अभी भी अच्छी बारिश नहीं हुई है. इसको लेकर किसान चिंतित हैं. उन्हें डर सता रहा है कि अगर इस बार भी अच्छी बारिश नहीं होती है तो उत्पादन पर सीधा असर देखने को मिलेगा. बिहार में इस साल कृषि विभाग ने करीब 36.56 लाख हेक्टेयर में धान की खेती करने का लक्ष्य रखा है. लेकिन अभी जो स्थिति है उसमें रोपनी करीब 30 लाख हेक्टेयर तक पहुंच जाए, वह अपने आप में एक बहुत बड़ा चैलेंज है. वहीं यह उम्मीद लगाई जा रही है कि जून के अंतिम दिनों में या जुलाई के शुरुआती सप्ताह में मॉनसून की अच्छी बारिश हो सकती है. 

 

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