गेहूं की महंगाई लगातार बढ़ रही है. अभी सरकारी खरीद की प्रक्रिया खत्म भी नहीं हुई है कि घरेलू बाजार में वर्तमान में गेहूं का दाम 2,435 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है, जो एक साल पहले इसी समय यह 2,277 रुपये था. ओपन मार्केट में गेहूं का दाम इसके लिए तय न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,275 रुपये से अधिक चल रहा है, इसलिए सरकार खरीद के लक्ष्य से काफी दूर है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, गेहूं का रिटेल मूल्य वर्तमान में 30.71 प्रति किलोग्राम है, जबकि एक साल पहले यह 29.12 रुपये था, जबकि आटा का मूल्य 35.93 रुपये किलो है, जो पिछले साल 34.38 रुपये था. ऐसे में अब गेहूं की बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए केंद्र सरकार इसके आयात को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकती है. नई सरकार के कार्यभार संभालने के तुरंत बाद शून्य सीमा शुल्क पर गेहूं के आयात की अनुमति दी जा सकती है.
बिजनेसलाइन ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि "नई सरकार के निर्णय लेने के लिए नीति पत्र पर काम किया जा रहा है, खास तौर पर तब जब देश में गेहूं की कीमतें नई ऊंचाई पर पहुंच गई हैं." वर्तमान में सरकार गेहूं के आयात पर 44 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगाया हुआ है. गेहूं आयात केवल कोच्चि, थूथुकुडी और कृष्णापटनम जैसे दक्षिण भारत के बंदरगाहों के माध्यम से किए जाने की अनुमति है. छह साल के बाद गेहूं आयात किए जाने की संभावना है, जिसका मकसद मांग-आपूर्ति के घाटे को पूरा करना है.
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बताया जा रहा है गेहूं की वैश्विक कीमतें 10 महीने के उच्चतम स्तर पर हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि खाद्यान्न की कीमतों को नियंत्रित रखना है तो भारत को गेहूं का आयात करना होगा, क्योंकि अक्टूबर के आसपास मांग-आपूर्ति संतुलन और खराब हो सकता है. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमतें 10 महीने के उच्चतम स्तर के करीब हैं ऐसे में सरकार आयातों पर भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च नहीं करना चाहेगी.
वर्तमान में, शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबीओटी) पर गेहूं की कीमतें 6.84 डॉलर प्रति बुशल (21,000 रुपये प्रति टन) पर चल रही हैं, जबकि रूसी गेहूं, जो संभवतः आयातकों का पसंदीदा होगा वह 235 डॉलर प्रति टन (19,575 रुपये) के आसपास चल रहा है. ऐसे में सीमित विदेशी मुद्रा खर्च करने के लिए, सरकार सबसे कम बोली लगाने वालों को आयात परमिट की नीलामी कर सकती है. आयातकों से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कह सकता है कि गेहूं लाने वाले जहाज किसी अन्य वस्तु के साथ वापस जाएं.
सूत्रों का कहना है कि सरकार शायद आयात मूल्य को सीमित करने के लिए उत्सुक होगी. आयात को फाइटो-सैनिटरी शर्तों को भी पूरा करना होगा जिसके लिए बंदरगाह में अपेक्षित सुविधाएं होनी चाहिए. रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रमोद कुमार का कहना है कि "भारत को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए शून्य शुल्क पर गेहूं आयात करने की जरूरत है." नई दिल्ली के एक व्यापारी ने कहा, "खुले बाजार की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए भारत को अच्छी मात्रा में आयात करने की जरूरत पड़ सकती है."
उधर, कृषि मंत्रालय ने भारत के गेहूं उत्पादन का अनुमान रिकॉर्ड 1121 लाख टन लगाया है, लेकिन समस्या यह है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास 1 अप्रैल को 75 लाख टन के साथ 16 साल का सबसे कम शुरुआती स्टॉक था. गेहूं की खरीद पिछले साल से अधिक हो चुकी है. इस साल उत्पादन अधिक है, लेकिन किसान इस उम्मीद में अपनी उपज को रोके हुए हैं कि साल के आखिर में उन्हें अधिक कीमत मिलेगी, खासकर अक्टूबर में जब स्टॉक कम हो सकता है.
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