बेर एक लोकप्रिय भारतीय फल है इसकी खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. शुष्क क्षेत्र बागवानी में बेर का प्रमुख स्थान है. वर्षा आधारित उद्यानिकी में बेर एक ऐसा फलदार पेड़ है जो कि एक बार पूरक सिंचाई से स्थापित होने के बाद बारिश के पानी पर निर्भर रहकर भी फलोत्पादन कर सकता है. यह एक बहुवर्षीय और बहुउपयोगी फलदार पेड़ है. किसान आज कल मुख्य फसलों की खेती कम कर बागवानी की और ज्यादा रुख कर रहे हैं. ऐसे में बेर की बागवानी कर किसान अच्छा मुनाफा ले सकते हैं. यह एक बहुवर्षीय और बहुउपयोगी फलदार पेड़ है जिसमें फलों के अतिरिक्त पेड़ के अन्य भागों का भी आर्थिक महत्व है. इसकी पत्तियाँ पशुओं के लिए पौष्टिक चारा प्रदान करती है. बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है और भाव भी अच्छा मिलता है.
बेर की बागवानी प्राय शुष्क अर्ध शुष्क क्षेत्रों में की जाती है जो पूरी तरह बारिश पर आधारित है इसलिए पौध स्थानांतरण वर्षा ऋतु जुलाई से सितम्बर में किया जाता है. खरीफ सीजन शुरू हो चुका है ऐसे में किसान इसकी सही तरीके से खेती कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों कमा सकते हैं.
जहाँ तक संभव हो, खेत में मेडबंदी करके खेत को समतल कर लें। यदि भूमि उसरीली है तो ढैंचा की हरी खाद द्वारा भी जीवांश की मात्रा बढ़ाकर भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है. बारानी क्षेत्र में मेडबंदी आवश्यक है ताकि वर्षा के जल का समुचित उपयोग हो सके.
बेर की बागवानी विभिन्न प्रकार की मिट्टी जैसे उथली, गहरी, कंकरीली, रेतीली, चिकनी आदि में की जा सकती है. इसके अतिरिक्त लवणीय, क्षारीय दशा में भी उगने की क्षमता रखता है. इसके पौधे 40-50 प्रतिशत विनिमयशील सोडियम तथा 12-15 मिलीम्होज प्रति सें.मी. विद्युत् चालकता वाली लवणीय भूमि में सफलता पूर्वक की जा रही है. व्यावसायिक बागवानी के लिये जीवांशयुक्त बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी गई है. किन्तु वे क्षेत्र जहाँ की जमीन नीची, रेतीली, उसरीली, बंजर जहाँ अन्य फसलें और फल वृक्ष नही उगाये जा सकते हैं वहाँ भी सीमित साधनों के साथ बेर की बागवानी सफलता पूर्वक की जा सकती है.
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बेर के पौधे को आप बीज और कलम के माध्यम से भी तैयार कर सकते है. बीज के द्वारा तैयार पौधे देर से पैदावार देना आरम्भ करते है. जिस वजह से पौधों को कलम द्वारा तैयार करना ज्यादा उपयुक्त होता है. कलम का रोपण करने के लिए कलम को पॉलीथिन में रखते है. इसके बाद जब पौधा तैयार हो जाए तो उसे खेत में तैयार गड्डो में लगा दे.
गोला
बेर की यह क़िस्म गोल आकार वाले चमकदार फलो का उत्पादन देती है. इसका पूर्ण रूप से पका हुआ फल सुनहरे पीले रंग का हो जाता है. यह क़िस्म कम समय में अधिक पैदावार देने के लिए जानी जाती है. इस क़िस्म के बेर में गुदे की मात्रा अधिक और रस मीठा होता है . इसके एक पेड़ से 80 KG की वार्षिक पैदावार मिल जाती है.
थाई आर जे
यह बेर की एक संकर क़िस्म है, जिसे उत्पादन देने में अधिक समय लगता है. इसे एप्पल बेर के नाम से भी पुकारते है. यह क़िस्म पौध रोपाई के 6 माह बाद पककर तैयार हो जाती है. इसके एक पेड़ से 100 KG का सालाना उत्पादन मिल जाता है, और अगर ठीक से देख-रेख की जाए तो वर्ष में दो बार भी फल ले सकते है | इस क़िस्म के पेड़ की खासियत यह है, कि इसके पेड़ में काटे नहीं होते है.
काला गोरा
यह क़िस्म अगेती पैदावार लेने के लिए उगाई जाती है. इसके पेड़ पर आने वाला फल आकार में लंबा होता है.इसके फलो में 95% गुदे की मात्रा पाई जाती है. इस क़िस्म का बेर फल पकने पर पीला हो जाता है, जिसका स्वाद हल्का खट्टा होता है. इसका एक पेड़ एक वर्ष में तक़रीबन 80 KG की पैदावार दे देता है .
जेडजी 2
बेर की यह क़िस्म अधिक पैदावार के लिए तैयार की गई है. इसमें निकलने वाले फल आकार में अंडाकार और छोटे होते है, जो पूरी तरह से पकने पर भी हरे ही रहते है. इसका फल स्वाद में मीठा होता है, जिसके पौधों पर फफूंद नामक रोग नहीं लगता है. इस क़िस्म के एक पेड़ से 150 KG की पैदावार मिल जाती है.
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