गन्ना और गेहूं की सहफसली खेती देगी बंपर फायदाजो किसान गेहूं और गन्ने की खेती करते हैं, उनके सामने एक आम समस्या आती है. जब वे गेहूं की कटाई के बाद अप्रैल में गन्ना बोते हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है, जिससे गन्ने की पैदावार 35 से 50 प्रतिशत तक घट जाती है. लेकिन अब, वैज्ञानिकों ने एक खास तकनीक 'फर्ब' FIRB - फरो इरीगेटेड रेज्ड बेडखोज निकाली है. इस तरीके में, गेहूं और गन्ने की बुवाई एक ही खेत में लगभग सही समय पर हो जाती है. इससे गन्ने की बुवाई में देरी नहीं होती और किसानों को दोनों फसलों की भरपूर पैदावार मिलती है, जिससे वे बंपर मुनाफा कमा सकते हैं.
यह तकनीक बहुत आसानी से काम करती है. सबसे पहले, ट्रैक्टर से चलने वाली 'रेज्ड बेड सीड ड्रिल' मशीन नवंबर-दिसंबर में एक ही बार में खेत में उठी हुई क्यारियां यानी बेड और उनके बीच में नालियां बना देती है. साथ ही, यह मशीन बेड पर गेहूं की 3 पंक्तियों में बुवाई भी कर देती है. इसके बाद, जब गेहूं की फसल थोड़ी बड़ी हो जाती है, तब फरवरी के महीने में उन नालियों में गन्ने की बुवाई कर दी जाती है.
नालियों में गन्ना लगाना बहुत आसान है. सबसे पहले, नाली में हल्की सिंचाई करके उसे गीला या कीचड़ जैसा बना दें. जब नाली में सही नमी हो, तब उसमें गन्ने के दो या तीन आंखों वाले टुकड़ों को डालते जाएं और उन्हें पैरों से कीचड़ में अच्छे से दबाते हुए आगे बढ़ें. एक और तरीका यह है कि आप गन्ने के इन टुकड़ों की जगह पहले से बड चिप से तैयार की गई पौध की रोपाई भी सीधे इन गीली नालियों में कर सकते हैं. इस तरह, एक ही खेत में दोनों फसलें एक साथ बढ़ती हैं.
फर्ब' तकनीक अपनाने के कई बड़े फायदे हैं, जो किसानों के लिए हर तरह से फायदेमंद है. इससे एक ही खेत से गेहूं और गन्ने, दोनों की भरपूर पैदावार मिलने से दोहरा मुनाफा होता है और गन्ने की पैदावार घटने का डर भी खत्म हो जाता है. इस विधि में खेत की तैयारी का खर्च 7 से 8 हजार रुपये तक कम हो जाता है, जिससे लागत में कमी आती है. साथ ही, गेहूं का लगभग 25% बीज भी बचता है, क्योंकि एक एकड़ के लिए 30-32 किलो बीज ही काफी होता है.
इसके अलावा, सिर्फ नालियों में सिंचाई करने से पानी की भी बहुत बचत होती है. देश के बहुत से इस तकनीक का इस्तेमाल करके प्रति एकड़ 17 से 20 क्विंटल गेहूं और 60 टन गन्ने की शानदार पैदावार मिल रही है. उन किसानों का कहना है है कि इस तकनीक से न सिर्फ उनकी आमदनी बढ़ी है, बल्कि खेती की लागत भी काफी घट गई है.
फरो रेज्ड बेड सीड ड्रिल एक खास तरह की मशीन है जो ट्रैक्टर से चलती है और एक ही बार में कई काम करती है. यह मशीन खेत में ऊंची क्यारियां बनाती है. उनके बीच में नालियां बनाती है और साथ ही साथ उन ऊंची क्यारियों पर बीज और खाद भी बो देती है. इस मशीन का इस्तेमाल गेहूं, मक्का, अरहर, सोयाबीन, मूंगफली जैसी कई दलहनी और तिलहनी फसलों की बुवाई के लिए किया जाता है.
इस मशीन को उपयोग करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे 20 से 30 परसेंट तक सिंचाई के पानी की बचत होती है और लगभग 20 से 25 फीसदी तक बीज और खाद का खर्च भी कम हो जाता है. यह मिट्टी में नमी बनाए रखने में मदद करती है, जिससे पारंपरिक तरीकों की तुलना में पैदावार बढ़ती है. इस मशीन की कीमत लगभग 40,000 रुपये से 1,00,000 रुपये के बीच हो सकती है, जो उसके मॉडल और कतारों की संख्या पर निर्भर करती है.
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