Basmati Rice: बासमती चावल के दाम में भारी गिरावट जारी, कीमतें 17 साल के निचले स्तर पर

Basmati Rice: बासमती चावल के दाम में भारी गिरावट जारी, कीमतें 17 साल के निचले स्तर पर

Basmati Rice: भारतीय बासमती चावल की डिमांड विदेशों में काफी तेजी से बढ़ रही है. यही कारण है कि दाम में लगातार हो रही गिरावट के बावजूद भारतीय चावल निर्यातकों की अच्छी कमाई लगातार जारी है.

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बासमती चावल के दाम में भारी गिरावट जारी, कीमतें 17 साल के निचले स्तर परबासमती चावल: basmati rice

बासमती चावल की कीमतों में लगातार भारी गिरावट और न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) की अनुपस्थिति के बावजूद, बासमती चावल निर्यातक इस खरीद वर्ष (अक्टूबर 2024 से शुरू) में अच्छी कमाई कर रहे हैं. दरअसल, दूसरे देशों में बासमती चावल की भारी डिमांड के कारण ऐसा देखा जा रहा है. व्यापार सूत्रों से पता चलता है कि मई में बासमती का औसत निर्यात मूल्य एक वर्ष पहले के 1,080 डॉलर प्रति टन से 23 प्रतिशत घटकर 831 डॉलर प्रति टन रह गया है.

आठ महीनों में 15 फीसदी की गिरावट

हालांकि सीजन की शुरुआत अक्टूबर 2024 में 20 प्रतिशत की गिरावट के साथ हुई थी और यह एक साल पहले के 1,226 डॉलर से घटकर 977 डॉलर प्रति टन पर आ गई थी, लेकिन पिछले आठ महीनों में कीमतों में 15 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसके बावजूद भी निर्यातकों की अच्छी कमाई हो रही है.

वैश्विक बाजार में चावल की मांग पर जोर

व्यापार नीति विशेषज्ञ एस चंद्रशेखरन ने दूसरी पीढ़ी के बासमती चावल के सुधारों में गहन आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता पर बल दिया है. उन्होंने कहा कि हमें गंभीरता से विचार करना चाहिए कि क्वालिटी और प्रामाणिकता का प्रबंधन करते हुए वैश्विक बाजार के विस्तार को कैसे गति दी जाए, नेविगेट किया जाए और लाभ उठाया जाए.

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मांग में वृद्धि

उन्होंने कहा कि बासमती चावल के निर्यात मानकों को लागू करना आवश्यक हो सकता है. जीआरएम ओवरसीज के सीओओ दिनेश चौधरी के अनुसार, पिछले साल रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मांग में भारी वृद्धि हुई थी, जिससे सुगंधित चावल की कीमतों में काफी वृद्धि हुई थी. हालांकि, इस साल भी इसी तरह की मांग की उम्मीद के कारण मजबूत खरीद के बावजूद, कीमतें अब कम हो गई है. इसका मुख्य कारण पिछले साल की बंपर खरीफ फसल का उत्पादन है.

बासमती चावल की खेप औसत दर से ऊपर

उन्होंने कहा कि बासमती की कुछ खेपें औसत दर से काफी ऊपर बिकीं. निर्यातकों द्वारा कटौती के अनुरोध के बाद सरकार ने पिछले साल सितंबर में बासमती चावल पर 950 डॉलर प्रति टन एमईपी हटा दिया था. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर 2024-अप्रैल 2025 के दौरान बासमती निर्यात की मात्रा 16 प्रतिशत बढ़कर 3.99 मिलियन टन (एमटी) हो गई, जो एक साल पहले 3.43 एमटी थी. पिछले कुछ दशकों में बासमती भारत की शीर्ष तीन कृषि-निर्यात वस्तुओं में से एक बनी हुई है.

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