भारतीय बासमती चावल की मांग विदेशों में बढ़ती जा रही है. खास कर पश्चिम एशियाई देशों में बासमती के निर्यात में बढ़ोतरी आई है. अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 के दौरान भारत के बेहतर क्वालिटी वाले बासमती चावल के निर्यात में 22 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया है, जिसका मारर्केट रेट 5.2 बिलियन डॉलर है. ऐसे में सरकार को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में बासमती चावल के निर्यात में और बढ़ोतरी होगी.
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, बासमती चावल का निर्यात अप्रैल से फरवरी में बढ़कर 4.68 मिलियन मीट्रिक टन हो गया है, जो एक साल पहले इसी अवधि के दौरान 4.1 मीट्रिक टन था. यानी पिछले साल के मुकाबले निर्यात में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य और लाल सागर में बाधाओं के बावजूद, हमने मूल्य और मात्रा के मामले में इस साल बासमती चावल निर्यात में अच्छी वृद्धि देखी गई है.
ऐसे में भारत ने खाद्यान्न की बढ़ती कीमतों को कम करने के अपने प्रयासों के तहत ही 20 जुलाई 2023 को सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. वहीं, एक महीने बाद, बासमती चावल के निर्यात पर न्यूनतम निर्यात मूल्य लगाया गया, जिसे फ्लोर प्राइस भी कहा जाता है.
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देश से निर्यात होने वाले कुल चावल में गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी लगभग 25-30 प्रतिशत है. साथ ही भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है. हालांकि, ऐसी आशंकाएं थीं कि न्यूनतम मूल्य लागू करने से बाजार पाकिस्तान में उत्पादित बासमती की ओर स्थानांतरित हो सकता है, जो ग्लोबल मार्केट में भारत का निकटतम प्रतिद्वंद्वी है. इसे लेकर सरकारी अधिकारियों ने कहा कि भारत का निर्यात प्रभावित नहीं होगा.
एक अन्य सरकारी अधिकारी ने कहा कि यह तब भी है जब पाकिस्तान से बासमती चावल का निर्यात भी बढ़ रहा है. हमारे निर्यात को कोई नुकसान नहीं हुआ है, उन्होंने कहा कि हमारे सबसे बड़े बाजारों में पश्चिम एशिया, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी), यूरोप, उत्तर और अमेरिका शामिल हैं.
पूरे पश्चिम एशिया में भारत के बासमती चावल निर्यात का तीन-चौथाई से अधिक हिस्सा शामिल है. वहीं बासमती चावल के लिए भारत के शीर्ष पांच निर्यातक देश ईरान, इराक, सऊदी अरब, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात हैं. वाणिज्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, बासमती चावल के निर्यात देशों की संख्या अप्रैल-दिसंबर में बढ़कर 149 हो गई है, जो एक साल पहले इसी अवधि के दौरान 140 थी.
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