खाने-पीने, पोल्ट्री और इथेनॉल के लिए मक्का की मांग लगातार बढ़ रही है. इसलिए इसका दाम भी तेजी से बढ़ रहा है. देश के खाद्यान्नों में यह तीसरी सर्वाधिक उत्पादित फसल है. इसके बावजूद बढ़ती मांग की वजह से सरकार पांच वर्ष में 10 मिलियन टन तक मक्का का उत्पादन बढ़ाना चाहती है. क्योंकि इसका इथेनॉल बनाने में ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने की योजना है. इसलिए कहा जा रहा है कि इसकी खेती करने वाले किसानों को अब घाटे का सामना नहीं करना होगा. बाजार भाव देखने पर यह साबित भी होता है. इसका भाव अधिकांश मंडियों में एमएसपी से ज्यादा ही चल रहा है. यही नहीं मुंबई की मंडी में इसका अधिकतम दाम 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है.
मक्का का एमएसपी इस समय 2090 रुपये प्रति क्विंटल है. जबकि 26 अप्रैल को मुंबई की मंडी में इसका न्यूनतम दाम 2600, अधिकतम दाम 4000 और औसत दाम 3500 रुपये प्रति क्विंटल रहा. आवक सिर्फ 182 क्विंटल हुई थी. इसी तरह 27 अप्रैल को पुणे मंडी में न्यूनतम दाम 2500, अधिकतम 2600 और औसत दाम 2550 रुपये प्रति क्विंटल रहा. मोटे अनाजों का सेवन करने के प्रति बढ़ी जागरूकता की वजह से भी बड़े शहरों में मक्के की मांग बढ़ी है और इसकी वजह से दाम बढ़ रहा है.
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बाजार के नियमों के अनुसार जिन मंडियों में कम मक्का बिकने के लिए आ रहा है उनमें दाम ज्यादा है और जहां आवक ज्यादा हो रही है वहां पर दाम थोड़े कम हैं. लेकिन हालात पहले जैसे नहीं हैं कि दाम कहीं पर भी 1500 रुपये क्विंटल हो. धुले, लासलगांव-विंचुर, पछोरा, यावल, अमलनेर, इंदापुर और अकोले आदि में आवक कम है इसलिए इन मंडियों में दाम कम है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में इथेनॉल की वजह से इसका दाम किसानों को अच्छा ही मिलता रहेगा.
जैव ईंधन नीति के अनुसार आने वाले समय में गन्ने से इथेनॉल का उत्पादन कम करने तथा मक्का जैसे अनाज से उत्पादन करने पर जोर दिया जाएगा. मक्का में कम पानी की खपत होती है. यही नहीं अब 'फार्म टू फ्यूल' नामक महत्वाकांक्षी योजना में सरकार की ओर से किसानों को मक्का उगाने के लिए उत्साहित किया जाएगा. अभी अगर मक्का के उत्पादन करें तो अमेरिका के मुकाबले हम लोग बहुत पीछे हैं. वर्ष 2022-23 में भारत में 34.6 मिलियन टन मक्का पैदा हुआ था, जबकि उससे पहले के साल में यह 33.7 मिलियन टन था. दूसरी ओर 2023-24 में उत्पादन सिर्फ 32.47 मिलियन टन ही उत्पादन हुआ.
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