Basmati GI Tag: भारत को बासमती जीआई टैग मिलने का रास्ता आसान हुआ, पाकिस्तान का पुराना आवेदन निरस्त 

Basmati GI Tag: भारत को बासमती जीआई टैग मिलने का रास्ता आसान हुआ, पाकिस्तान का पुराना आवेदन निरस्त 

यूरोपीय यूनियन ने बासमती चावल पर पाकिस्तान के पुराने जीआई टैग आवेदन को निरस्त कर दिया है और नए नियमों के तहत फिर से आवेदन पब्लिश किया है. एक्सपर्ट का कहना है कि इससे यह भारत को जीआई टैग मिलने का रास्ता पहले से और आसान हो गया है.

Advertisement
Basmati GI Tag: भारत को बासमती जीआई टैग मिलने का रास्ता आसान हुआ, पाकिस्तान का पुराना आवेदन निरस्त भारत में बासमती चावल 200 वर्षों से अधिक समय से उगाया जा रहा है.

सुगंधित बासमती चावल के लिए जीआई टैग भारत को मिलने का रास्ता साफ होता दिख रहा है. बता दें कि पाकिस्तान ने भी बासमती चावल पर जीआई टैग हासिल करने के लिए  आवेदन किया था, जिसे यूरोपियन यूनियन ने रद्द करते हुए दोबारा से पब्लिश किया है. एक्सपर्ट ने कहा है कि पाकिस्तान के आवेदन का दोबारा प्रकाशन यह स्पष्ट संकेत दे रहा है कि जीआई टैग पाने के लिए भारत का रास्ता पहले से और साफ हो गया है. 

जीआई टैग किसी भी प्रोडक्ट के ओरिजिन को दर्शाता है. इसमें उसकी क्वालिटी, खूबी आदि का जिक्र होता है और इससे उस प्रोडक्ट की वैल्यू में इजाफा होता है. बासमती चावल के लिए जीआई टैग हासिल करने की लड़ाई भारत-पाकिस्तान के बीच चल रही है. पाकिस्तान ने कई पूसा से विकसित चावल की कई किस्मों की चोरी कर उत्पादन किया है. भारत ने 2018 में बासमती चावल पर जीआई टैग के लिए आवेदन किया था और पाकिस्तान ने भी जीआई टैग के लिए यूरोपीय यूनियन में आवेदन कर रखा है. 

यूरोपीय यूनियन ने नए नियमों के तहत सुगंधित चावल के लिए पाकिस्तान के जीआई टैग आवेदन को दोबारा प्रकाशित किया है. यूनियन ने अनुच्छेद 49 (5) के तहत 30 अप्रैल को जीआई एप्लिकेशन टैग को फिर से पब्लिश किया. जबकि, यूरोपीय यूनियन रेगुलेशन के अनुच्छेद 50 (2) के तहत पाकिस्तान के 23 फरवरी के आवेदन को रद्द कर दिया है. रिपोर्ट के अनुसार एक्सपर्ट का कहना है कि इससे यह समझना और स्पष्ट हो गया है कि भारत को जीआई टैग मिल सकता है. 

ट्रेड एनालिस्ट एस चंद्रशेखरन ने कहा कि जीआई टैग के लिए पाकिस्तान के आवेदन का फिर से प्रकाशन स्पष्ट संकेत है कि भारत बासमती चावल का मालिक है.ऐसा इसलिए है क्योंकि जीआई टैग के लिए जुलाई 2018 में दायर भारत के आवेदन को यूरोपीय संघ विनियमन के अनुच्छेद 50 (2) के तहत लिस्ट किया गया है. जबकि, पाकिस्तान के आवेदन को दोबारा ईयू ने अपनी तरफ से पब्लिश किया है. 

पाकिस्तान ने माना भारत में उगाया जा रहा बासमती 

अनुच्छेद 50(2) के तहत जीआई टैग के लिए आवेदन सीधे या किसी तीसरे देश के जरिए किया जा सकता है. हालांकि, पाकिस्तान के मामले में यूरोपीय यूनियन ने अनुच्छेद 49(5) लागू किया है, जिसमें कहा गया है कि जिस उत्पाद के लिए GI टैग मांगा गया है, उसे उसके मूल देश में संरक्षित किया जाना चाहिए. भारतीय और पाकिस्तानी आवेदनों के बीच अंतर यह है कि यूरोपीय यूनियन की ओर से जीआई टैग के लिए भारत के आवेदन के प्रकाशन में उल्लेख नहीं किया गया कि बासमती पाकिस्तान में उगाया जाता है. दूसरी ओर पाकिस्तान के आवेदन में कहा गया है कि यह चावल भारत के खास क्षेत्रों में भी उगाया जा रहा है. यूनियन ने इसको आवेदन में शामिल किया है. इसका मतलब है कि भारतीय आवेदन को प्राथमिक माना जा रहा है और यह बासमती चावल के जीआई टैग का आधार होगा. 

जीआई टैग मानक पूरा करता है भारत 

भारत को जीआई टैग मिलने का रास्ता और आसान होने की अगली वजह यह है कि भारत में बासमती चावल 200 वर्षों से अधिक समय से उगाया जा रहा है. जबकि, पाकिस्तान ऐसा दावा नहीं कर सकता है. किसी उत्पाद के लिए संरक्षित जीआई टैग तभी दिया जाता है जब इस बात का सबूत पेश किया जाए कि उसे 200 से अधिक वर्षों से उगाया या प्रोड्यूस किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें - 

POST A COMMENT