आम दुनिया में लोगों का सबसे ज्यादा पसंदीदा फल है. इस फल की मिठास के दीवाने भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में हैं. इस बार आम को लेकर एक खास खबर है. आम के चाहने वालों को इस बार दशहरी, चौसा, लंगड़ा, मालदा जैसे मशहूर किस्म के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे क्योंकि जलवायु परिवर्तन के चलते इस बार आम की फसल पर असर देखा जा रहा है. हर बार फरवरी के महीने में आम की फसल में फूल आ जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. जलवायु परिवर्तन के असर के चलते आम की फसल इस बार ज्यादा प्रभावित है.
उत्तर प्रदेश की शान कहे जाने वाले आम पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है. आम की फसल पर मौसम की मार को देखते हुए केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के वैज्ञानिक भी चिंतित हैं. यहां के वैज्ञानिकों का कहना है कि मार्च महीने का पहला सप्ताह आम की फसल के लिए इस बार महत्वपूर्ण होगा. मार्च में आम के पेड़ो में बौर नहीं आए तो बाद में मुश्किल होगी. इस बार आम के उत्पादन में भी गिरावट होगी.
जलवायु परिवर्तन की वजह से पूरे विश्व में अनाज से लेकर सब्जियों की फसल पर पहले ही असर दिखने लगा था. वहीं अब बागवानी पर भी असर पड़ने लगा है. जलवायु परिवर्तन की वजह से न सिर्फ उत्पादन घटा है बल्कि इससे कई फसल की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है. आम की फसल पर भी इस बार जलवायु परिवर्तन का बड़ा असर हुआ है. केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. प्रभात कुमार शुक्ला ने किसान तक को बताया कि फरवरी महीने में न्यूनतम तापमान हर बार 15 डिग्री सेल्सियस के पार चला जाता था जो आम की फसल के लिए काफी अच्छा माना जाता है. लेकिन इस बार पूरे फरवरी में न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस के नीचे रहा. इसके कारण इस बार आम की फसल में फूल समय से नहीं निकले हैं.
पश्चिमी विक्षोभ के चलते लगातार न्यूनतम और अधिकतम तापमान में अंतर दिखाई दे रहा है. बे-मौसम बारिश के चलते न्यूनतम तापमान में भी बढ़ोतरी नहीं हो रही है. इसके कारण इस बार केवल 10 फ़ीसदी आम के पेड़ में ही फूल आए हैं जबकि 90 फीसदी पेड़ अभी भी खाली हैं. यह हालत पूरे उत्तर-भारत का है जबकि दक्षिण भारत में इस बार आम की फसल अच्छी है.
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केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. प्रभात कुमार शुक्ला का कहना है कि इस बार आम की मिठास के लिए लोगों को ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे. हर साल आम की फसल अच्छी होने के चलते कीमतों में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होती थी. लेकिन इस बार अभी से ही फसल पर पड़ रहे जलवायु परिवर्तन के असर से उत्पादन में भारी गिरावट का अनुमान है. इस वजह से लोगों को इस बार महंगे आम खरीदने पड़ सकते हैं.
उत्तर प्रदेश देश में सबसे ज्यादा आम का उत्पादन करता है लेकिन इस बार शायद यह आंकड़े पलट सकते हैं. जलवायु परिवर्तन के असर से अभी तक आम की ज्यादातर फसल में फूल नहीं आए हैं. इससे फल लगने की संभावना भी कम होने लगी है. यह हाल लखनऊ के मलिहाबाद का नहीं बल्कि मेरठ, सहारनपुर के चौसा बेल्ट से लेकर पूर्वांचल के लंगड़ा आम के बागों का भी है. बिहार और पश्चिम बंगाल में भी यही हाल है. प्रधान वैज्ञानिक डॉ. प्रभात कुमार शुक्ला का कहना है कि इस बार मार्च महीने का पहला सप्ताह महत्वपूर्ण है. अगर न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी होती है तो इससे कुछ बदलाव जरूर हो सकता है. नहीं तो आम के पेड़ों पर इस बार पिछले साल की तरफ फसल नहीं आएगी जिससे उत्पादन पर भारी असर दिखाई देगा.
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