Gehu Gyan: गेहूं में पानी लगाने में ना हो जाए कोई गलती, आज ही देख लें ये सिंचाई गाइड

Gehu Gyan: गेहूं में पानी लगाने में ना हो जाए कोई गलती, आज ही देख लें ये सिंचाई गाइड

भारत में गेहूं एक प्रमुख रबी फसल है, जिसकी पैदावार काफी हद तक सही सिंचाई प्रबंधन पर निर्भर करती है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार यदि गेहूं की फसल को उसके महत्वपूर्ण विकास चरणों पर पर्याप्त पानी न मिले, तो उत्पादन और गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती हैं.

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Gehu Gyan: गेहूं में पानी लगाने में ना हो जाए कोई गलती, आज ही देख लें ये सिंचाई गाइड गेहूं की फसल में सिंचाई के अहम चरण

भारत में गेहूं एक प्रमुख रबी फसल है, जिसकी पैदावार काफी हद तक सही सिंचाई प्रबंधन पर निर्भर करती है. कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर गेहूं की फसल को उसके महत्वपूर्ण विकास चरणों के दौरान पर्याप्त पानी नहीं मिलेगा, तो इसके उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पर बुरा असर पड़ता है. गेहूं को अपने पूरे फसल चक्र में करीब 35 से 40 सेमी पानी की जरूरत होती है. गेहूं की फसल में पानी सबसे ज्यादा तब चाहिए होता है, जब गेहूं में बालियां और जड़ें निकलने का समय होता है. इसके अलावा इसकी दूसरे चरणों के दौरान भी समय और पानी की मात्रा का ध्यान रखना होता, जिसकी पूरी गाइड हम आपको बता रहे हैं.

गेहूं की फसल में सिंचाई के महत्वपूर्ण चरण

1. क्राउन रूट इनिशिएशन (CRI)

ये चरण बुवाई के 20–25 दिन बाद आता है. इसे गेहूं की सबसे संवेदनशील अवस्था मानी जाती है. इस चरण में जड़ों का विकास होता है. पानी की कमी से पौधे कमजोर रह जाते हैं. इस समय गेहूं में लगभग 60–70 मिमी पानी की आवश्यकता होती है.

2. टिलरिंग अवस्था

गेहूं में ये चरण बुवाई के 40–45 दिन बाद आता है. इस चरण में पौधों से नई शाखाएं (टिलर) निकलती हैं. इस चरण में सही सिंचाई से अधिक टिलर बनते हैं, जिससे बालियों की संख्या भी बढ़ती है.

3. जॉइंटिंग अवस्था

गेहूं की फसल में जब बुवाई के 60–65 दिन हो जाएं तब ये चरण आता है. इस अवस्था में पौधे का तना बढ़ता है और बालियों का निर्माण शुरू होता है. इस स्टेज में पर्याप्त नमी मिलने से फसल में पोषक तत्वों का सही अवशोषण होता है.

4. फूल आने की अवस्था

ये तब होता है जब बुवाई के 85 से 90 दिन पूरे हो जाते हैं. यह दाना बनने की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण चरण माना जाता है. अगर इस वक्त सिंचाई नहीं होगी तो नमी की कमी से फसल का परागण प्रभावित होता है और दाने कम बनते हैं.

5. मिल्क अवस्था

बुवाई के 100 से 105 दिन बाद गेहूं के दानों में भराव शुरू होता है. जो किसान इस चरण में उचित सिंचाई कर देते हैं, फसल के दाने का आकार और वजन बेहतर होता है.

मिट्टी के प्रकार के अनुसार सिंचाई

  • रेतीली मिट्टी: अगर रेतीली मिट्टी है तो पानी जल्दी सूख जाता है. इसलिए इसमें हर 7 से 10 दिन में सिंचाई करनी चाहिए.
  • दोमट मिट्टी: गेहूं अगर दोमट मिट्टी में लगा है तो 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करना उपयुक्त है.
  • चिकनी मिट्टी: इसमें नमी अधिक समय तक रहती है, इसलिए 15 से 20 दिन में सिंचाई पर्याप्त है.

गेहूं में कितनी बार करें सिंचाई?

  • बारानी गेहूं: CRI, फूल और मिल्क अवस्था पर 2–3 सिंचाई
  • सिंचित गेहूं: सभी महत्वपूर्ण चरणों पर 5–6 सिंचाई

ध्यान रहे कि हर सिंचाई में इतना पानी दिया जाना चाहिए कि नमी लगभग 30 सेंटीमीटर गहराई तक पहुंच सके. अगर किसान इस आधार पर सही सिंचाई कर लेते हैं तो फसल की बेहतर वृद्धि और मजबूती होगी. इसमें पोषक तत्वों का अधिकतम उपयोग हो सकेगा और गेहूं के दानों की गुणवत्ता और वजन में भी सुधार होगा. इसके साथ ही पानी की बचत और उत्पादन लागत में भी कमी आएगी. सूखे या तनाव से होने वाले नुकसान से भी बचाव हो सकेगा.

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