एक ओर जहां देश में इन दिनों दाल की कीमतें बढ़ी हुई हुई हैं. वहीं, दक्षिण में दाल के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र कलबुर्गी जिले में पोस्ट मॉनसून बारिश की कमी और फफूंद से होने वाली बीमारियों के कारण तूर दाल (अरहर) की फसल प्रभावित हो रही है. फसल प्रभावित होने से क्षेत्र के किसान चिंतित है. इस खरीफ सीजन में कर्नाटक तूर दाल की फसल के रकबे में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इस साल राज्य में कुल 15.94 लाख हेक्टेयर में तूर की बुवाई की गई है. पिछले सीजन में इसका रकबा 13.64 लाख हेक्टेयर था. इस सीजन में कलबुर्गी में 6.27 लाख हेक्टेयर में तूर की बुवाई की गई है, लेकिन कम बारिश के कारण ज्यादातर किसान चिंतित हैं.
कर्नाटक कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, इस बार जिले में नवंबर महीने में कलबुर्गी में 71 प्रतिशत कम बारिश हुई. यहां 19.5 मिमी बारिश होना सामान्य है, जबकि इस बार सिर्फ 5.6 मिमी बारिश दर्ज की गई. नवबंर का महीना तूर फसल में फूल आने और फली बनने जैसे महत्वपूर्ण चरण का समय होता है. ऐसे में बारिश से मिट्टी में नमी कम हो गई है और उथले मिट्टी वाले इलाकों में फसल पर बुरा असर पड़ा है. इन स्थानों पर मैक्रोफोमिना और फाइटोफ्थोरा रूट रॉट जैसे फफूंदजनित रोग फैल रहे हैं और फसल सूख रही है.
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बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि फसल के नुकसान के आकलन के लिए सर्वे किया जा रहा है. पारंपरिक काली मिट्टी वाले इलाकों में ये रोग नहीं फैल रहे हैं. कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि मॉनसून सीजन में अच्छी बारिश के चलते क्षेत्र में तूर की फसल का अच्छा विकास हुआ है. यहां फसल तेलंगाना बॉर्डर से सटे इलाकों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है.
कर्नाटक प्रदेश लाल चना उत्पादक संघ के अध्यक्ष बसवराज इंगिन ने कहा कि यह रोग धीरे-धीरे इलाके में फैल रहा है. उन्होंने अन्य कारण बताते हुए भी उत्पादन प्रभावित होने की बात कही.
वहीं, कर्नाटक प्रांत रायथा संघ के शरणबसप्पा ममशेट्टी ने लगभग 2 लाख हेक्टेयर में फसल प्रभावित होने की बात कही है. शरणबसप्पा ने राज्य सरकार से किसानों को 25,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब मुआवजा देने की मांग उठाई है. पड़ोसी जिले विजयपुरा में भी कुछ इलाकों में तूर की फसल रोगों की चपेट में आई है.
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